थाली का भात मचा रहा उत्पात, दाम बढ़ने के ये है प्रमुख कारण !

टूटे हुए चावल जो एक समय में 35 रुपये प्रति किलो के स्तर पर थे, अब उछाल के साथ 35 से 40 रुपये प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गए हैं।

चावल ! जो भारतियों की थाली की चमक होता है। जो बनने में आसान तो खाने में लाजवाब होता है। लेकिन बढ़ती हुई महंगाई के कारण अब इसका भी आम भारतीय की रसोई में पकना मुश्किल होता जा रहा है। कारण कुछ दिनों में गेहूं और चावल दोनों की कीमतों में तेजी आना। जी हाँ अगर हम बात इस समय के चावल उसके दामों की कर रहे है। जिसमे 1 या 2 रुपये की बढ़ोत्तरी नहीं बल्कि 10 रुपये के बड़ी बढ़ोत्तरी की गयी है।

आम जनता को राहत मिलने की जगह झटका

आपको बता दें जून-जुलाई में ही चावल के दाम करीब 30 फीसदी महंगे हो गए थे। तो वहीं अगस्त में इसके दामों में गिरावट की उम्मीद लगाए बैठे आम जनता को राहत मिलने की जगह झटका लगा है। टूटे हुए चावल जो एक समय में 35 रुपये प्रति किलो के स्तर पर थे, अब उछाल के साथ 35 से 40 रुपये प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गए हैं।

चावल के टुकड़ों में उछाल देखने को मिला

बात अगर हम बासमती चावल की करें तो इसकी कीमत में जो पहले 60 रुपये प्रति किलो थी। जो अब बढ़कर 80 रुपये प्रति किलो हो गई है। इस खास चावल के टुकड़ों में उछाल देखने को मिला है। पीस बासमती चावल 30 रुपये किलो के बजाय 40 रुपये किलो बिक रहा है।

राज्यों में बहुत कम धान बोया गया

इन दामों के बढ़ने  के प्रमुख कारण पर अगर नज़र डालें तो इसकी सबसे बड़ी वजह धान की बुवाई का घटना है। जिसमे इस साल धान की बुआई के रकबे में कमी आई है। पिछले जुलाई के आंकड़ों के मुताबिक इस साल बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल जैसे धान उत्पादक राज्यों में बहुत कम धान बोया गया है।

उपज में 100 लाख टन की कमी आई

धान की बुवाई का कुल रकबा पिछले वर्ष की तुलना में 13.3 प्रतिशत कम हो गया है। बता दें कि पूर्वोत्तर के 6 राज्यों में धान का रकबा पिछले साल की तुलना में 37.70 लाख हेक्टेयर कम हुआ है। यदि एक हेक्टेयर में 2.6 टन की औसत उपज भी जोड़ दी जाए तो धान की उपज में 100 लाख टन की कमी आई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button