# मुंशी प्रेमचंद्र जयंती : अंग्रेज कलेक्टर की धमकी से झुके नहीं डटे रहें ‘ मुंशी जी ‘, ऐसे दिया था जवाब !

मुंशी प्रेमचंद्र जी की कहानियों की अगर बात की जाए तो उनकी कहानियों में ग्रामीण परिवेश, जमीनी हकीकत व सच्चाई को कलम की धार देते थे

“हिंदी साहित्य सरोवर में पंकज तो रोज खिला करते हैं,
नित निज अगनित प्रसून मिट्टी में रोज मिला करते हैं,
जिसने निज आभा के द्वारा इस सरोवर को महकाया है
निज लेखनी से मुंशी जी ने है साहित्य को चमकाया है “

ये पंक्तियाँ आपको महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद ( Munshi Premachandran ) का एक चित्र दिखाता होगा। उनका जन्म जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस जिले के लम्ही गांव में हुआ था। प्राथमिक शिक्षा लेने के बाद उन्होंने 1904 में जेटीसी की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। वह मॉडल स्कूल के प्रधानाध्यापक भी बने।

बचपन गोरखपुर के तुर्कमानपुर मोहल्ले में बीता

धनपत राय ‘मुंशी प्रेमचंद’ का बचपन गोरखपुर के तुर्कमानपुर मोहल्ले में बीता था। जब शिक्षा विभाग की नौकरी के दौरान उनका तबादला हो गया। इसके बाद वो 1916 में फिर गोरखपुर आए। उन्होंने बेतियाहाटा के मुंशी प्रेमचंद पार्क में निकेतन को अपना घर बनाया। उसके बाद वो नौकरी से इस्तीफा देने तक इस निकेतन में रहे।

विद्रोही पुस्तकें लिखने के लिए हड़काया था

इसके बाद वर्ष 1908 में उप निरीक्षक के पद पर शिक्षा विभाग हमीरपुर में उनका तबादला कर दिया गया। यहां उन्होंने छह साल तक सेवा की, फिर ब्रिटिश कलेक्टर की धमकी के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी। इस बात की पूरी कहानी का अगर जिक्र करें तो साहित्यकार डॉ. भवानीदीन प्रजापति ने बताया कि जे.बी. आर्मोद 1913 से 1917 तक हमीरपुर में अंग्रेज कलेक्टर थे। जिन्होंने मुंशी प्रेमचंद को विद्रोही पुस्तकें लिखने के लिए हड़काया था।

अंग्रेजों के अत्याचारों को लेखन के माध्यम से उजागर किया

इसके बावजूद वे डरे नहीं और अपने लेखन को तेज करते रहे। छह साल की अपनी नौकरी में उन्होंने हमीरपुर और महोबा क्षेत्र के स्कूलों का निरीक्षण किया और लोगों की समस्याओं और अंग्रेजों के अत्याचारों को लेखन के माध्यम से उजागर किया।

पुस्तकों को सार्वजनिक रूप से जला भी दिया

इस कारण उन्हें कलेक्टर ने उन्हें तलब किया था। मुंशी उन दिनों बैलगाड़ी से कुलपहाड़ तहसील पहुंचे थे। जहां कलेक्टर ने उन्हें धमकाया। कलेक्टर ने सोजे वतन की पांच सौ पुस्तकों को सार्वजनिक रूप से जला भी दिया था। बुंदेलखंड क्षेत्र में यह घटना चर्चा का विषय बनी।

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