‘ महंगाई की बड़ी बड़ी बातें करने वालों ने जनता को उसी में दबाया ‘ : कांग्रेस प्रवक्ता
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा जिस पकोड़ा तलने की बात करते हैं उस पकोड़े का भी तेल महंगा हो गया है।
आज यूपी कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर केंद्र व प्रदेश में सत्ता में काबिज भाजपा सरकार को महंगाई के मुद्दे पर आड़े हाथों लिया है।
जनता को महंगाई के बोझ तले दबाया
उन्होंने कहा आज की जो कहानी है वह कहानी है महंगाई की और अगर आपको जो याद हो 2012 के आसपास एक पीपली लाइव एक पिक्चर आई थी। जिसमें गाना था महंगाई डायन खाए जात है, उस गाने में थोड़ा संशोधन है और उसमें यह है सखी सैंया तो कुछ नही कामत है और महंगाई डायन खाए जात है। आज जनता को महंगाई के बोझ तले इन लोगों ने दबाया है जो लोग महंगाई की मार पर बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते थे।
पकोड़े का भी तेल महंगा हो गया
अगर सरकार से बेरोजगारी की बात करे रसोई गैस का सिलेंडर 2014 में ₹410 का था। आज 1053 से लेकर 1200 तक का बिक रहा है। पेट्रोल 70 था वही डीजल 55 रुपए था। वही आज दोनो के दाम 100 पर कर गए है। यहां तक जिस पकोड़ा तलने की बात करते हैं उस पकोड़े का भी तेल महंगा हो गया है।
चिट्ठी लिखकर महंगाई का विरोध किया
जब विपक्ष जीएसटी में महंगाई को लेकर सवाल उठाता है तो निर्मला सीतारमण और प्रधानमंत्री मोदी लोगों को यह कह कर भ्रमित करते हैं कि जीएसटी काउंसलिंग की मीटिंग में विपक्ष भी था। उसने उस टाइम विरोध क्यों नहीं किया तो मैं बताना चाहूंगी कि, राजस्थान और झारखंड की सरकार ने निर्मला सीतारमण को लिखित में चिट्ठी लिखकर महंगाई का विरोध किया था।
मुनाफाखोरी करके करोड़ों कमाए हैं
उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि यह सब कुछ उदाहरण है और पेट्रोल और डीजल की बात करनी जरूरी इसलिए है क्योंकि पेट्रोल और डीजल में जो बढ़ोतरी हुई वह असल में कम हो जानी चाहिए थी। वह बढ़ोतरी कम इसलिए नहीं हुई क्योंकि जब वैश्विक स्तर पर दाम गिरते हैं। तब हमारी सरकार को दाम को कम करना चाहिए। वैश्विक स्तर पर दाम गिरकर $20 प्रति बैरल हो जाते हैं।
मगर सरकार दाम नहीं कम करती है। कुछ महीनों से दाम लगातार गिर रहे हैं वैश्विक स्तर पर पेट्रोल का कच्चे तेल का डीजल का दाम गिर रहा है। लेकिन हमारी सरकार ने दाम नहीं कम किया सरकार ने आम आदमी से मुनाफाखोरी करके करोड़ों कमाए हैं यह सब क्यों हो रहा है।