KGMU के डॉक्टर्स ने दी 13 महीने की बच्ची को नई ज़िंदगी, इस भयावह बीमारी से खतरे में थी बच्ची की जान !

सहजाद आलम और रहीमा खातून की 13 महीने की बच्ची को एक ऐसी बीमारी हो गयी जिसके कारण उसकी लगातार हालत ख़राब होती जा रही थी।

माँ बाप के लिए अगर उनके बच्चे को एक खरोच भी आ जाती है तो उनका कलेजा बाहर आ जाता है वहीं अगर सोचिये अगर कोई बच्चा अभी पूरी तरह से चलना और बोलना भी न सिख पाया हो और उसे कोई परेशानी हो जाए तो उसके मातापिता की उन हालातों में कैसी स्थिति होगी।

ऐसा ही कुछ मामला सामने आया है जो की उत्तरप्रदेश के सिद्धार्थनगर का है। जहां के निवासी सहजाद आलम और रहीमा खातून की 13 महीने की बच्ची को एक ऐसी बीमारी हो गयी जिसके कारण उसकी लगातार हालत ख़राब होती जा रही थी।

बच्ची कि की जांचों में पता चला कि

बच्ची की बीमारी की बात करे तो पिछले 5 महीने से सहजाद आलम और रहीमा खातून की छोटी बेटी रूमाइशा के पेट में सूजन लगातार बढ़ती जा रही थी। जिसको लेकर बच्ची के माता पिता ने उसे कई डॉक्टर्स को दिखाया पर बच्ची की हालत में कोई सुधार नहीं दिख रहा था जिसके चलते बच्ची के पेट की सूजन लगातार बढ़ रही थी इतना ही नहीं इस बीमारी के चलते बच्ची कुछ खा पी भी नहीं पा रही थी, जिसकी वजह से बच्ची का वजन भी लगातार काम हो रहा था।

जिसको देखते हुए रूमाइशा के मातापिता बच्ची को लेकर लखनऊ के के जी ऍम यू ट्रामा सेंटर पहुंचे। जिसके बाद बच्ची कि की जांचों में पता चला कि उसके पेट में बड़ी सी गाँठ है जो बड़ी नसों, धमनिया, बाएं गुर्दे, तथा बाएं फेफड़े की झिल्ली से चिपकी हुई थी।

बच्ची के हो रहा धीरे धीरे सुधार

जिसके बाद बच्ची को लखनऊ के के जी ऍम यू ट्रामा सेंटर के पीडियाट्रिक सर्जरी के प्रोफेसर जे डी रावत की टीम में भर्ती किया गया जहाँ डॉक्टर्स कि टीम ने 3 घंटे कि कड़ी मेहनत के बाद बच्ची के शरीर से कैंसर की गाँठ को सफलता पूर्वक बड़ी नसों, धमनिया तथा बाएं गुर्दे को बचते हुए निकला दिया।

फ़िलहाल 31 जुलाई को हुए बच्ची के ओप्रशन के बाद उसकी हालत में अब धीरे धीरे सुधार हो रहा है। उसके साथ ही बच्ची कि बीमारी कि बात करे तो इस बीमारी को फ़ीटस इन फिटु (Fetus in fetu) कहते है। क्योंकि इस गाँठ में हड्डी एवं शरीर के अन्य भाग बाल, आंत भी विकसित थे । यह एक विरल असाधारण बीमारी होती है।

 

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