अल्पसंख्यक अधिनियम और आयोग को असंवैधानिक वाली याचिका में हस्तक्षेप की मांग !

 सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिनियम (1992) और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को असंवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका के स्वीकार

 सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिनियम (1992) और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को असंवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका के स्वीकार कर लिए जाने के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की गई है। उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस ने पूरे प्रदेश से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेज कर इसकी मांग उठाई है।अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने कहा कि न्यायपालिका का एक हिस्सा मोदी सरकार के वैचारिक एजेंडे पर काम कर रहा है।

 संगठन की याचिका भी हुई स्वीकार

इसी के तहत पहले पूजा स्थल अधिनियम 1991 को चुनौती देने वाली भाजपा नेताओं की याचिकाएं स्वीकार की गईं तो उसके बाद संविधान की प्रस्तावना से सेकुलर और समाजवाद शब्द हटाने की भाजपा नेता की याचिका स्वीकार की गयी। शाहनवाज़ ने बताया कि इसी कड़ी में अब अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम को खत्म करने की मांग वाली संघ से जुड़े संगठन की याचिका को भी स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने कहा की 1998 में भाजपा ने लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यक आयोग को खत्म करने का वादा किया था।

मामले में हस्तक्षेप करने की मांग

ऐसा लगता है कि मोदी सरकार न्यायपालिका के एक हिस्से के सहयोग से अपने इस संविधान विरोधी वादे को पूरा करना चाहती है।उन्होंने कहा की भाजपा सरकार की मंशा है कि अल्पसंख्यक वर्ग न्यायपालिका से इतना निराश हो जाए कि न्यायपालिका पर अपनी संवैधानिक जवाबदेही का कोई दबाव न डाल पाए। लेकिन यूपी अल्पसंख्यक कांग्रेस ऐसा नहीं होने देगी। कहा कि अल्पसंख्यक कांग्रेस ने राष्ट्रपति को संविधान के कस्टोडियन होने के नाते ज्ञापन भेजकर उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।

 

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