वर्कर्स फ्रंट का बिजली संशोधन विधेयक और निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन को समर्थन !

वर्कर्स फ्रंट ने बिजली संशोधन विधेयक और पावर सेक्टर के निजीकरण के मुद्दे पर कर्मचारियों के देशव्यापी मुहिम और 23 नवंबर को दिल्ली में आयोजित प्रदर्शन का समर्थन किया है।

वर्कर्स फ्रंट ने बिजली संशोधन विधेयक और पावर सेक्टर के निजीकरण के मुद्दे पर कर्मचारियों के देशव्यापी मुहिम और 23 नवंबर को दिल्ली में आयोजित प्रदर्शन का समर्थन किया है। साथ ही सरकार से इस विधेयक को रद्द करने की मांग की है। पावर कारपोरेशन के सेवानिवृत्त अधिशासी अभियंता और वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश उपाध्यक्ष ई. दुर्गा प्रसाद ने जारी बयान में कहा कि बिजली संशोधन विधेयक-2022 के संदर्भ में किसान आंदोलन में हुई वार्ताओं में सरकार ने लिखित रूप से आश्वस्त किया था। कहा था कि स्टेकहोल्डर्स को सुने बिना विधेयक संसद सत्र में पेश नहीं किया जायेगा लेकिन वादाखिलाफी कर इसे संसद के पिछले सत्र में पेश कर दिया गया।

मुनाफाखोरी के लिए इस्तेमाल करने की छूट

हालांकि बिजली कर्मचारियों के देशव्यापी हड़ताल की चेतावनी और किसान आंदोलन के दबाव में संसद की स्थायी समिति को भेजा गया है। लेकिन इस अवधि में संसद की स्थायी समिति ने सभी स्टेकहोल्डर्स से अभी तक चर्चा नहीं की है। ई. दुर्गा प्रसाद ने आगे कहा कि इससे बिजली कर्मचारियों को आशंका है कि कहीं पुन: शीतकालीन सत्र में विधेयक मौजूदा स्वरूप में ही पारित न कर दिया जाये। इसी वजह से बिजली कर्मचारियों द्वारा देशव्यापी मुहिम शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि बिजली संशोधन विधेयक के प्रावधान कारपोरेट बिजली कंपनियों के हितों की पूर्ति हैं। इससे डिस्कॉम का भारी भरकम नेटवर्क मुफ्त में ही कारपोरेट बिजली कंपनियों द्वारा मुनाफाखोरी के लिए इस्तेमाल करने की छूट होगी।

गुणवत्ता में सुधार की बातें महज प्रोपेगैंडा

इसके अलावा क्रास सब्सिडी और सब्सिडी खत्म होने का प्रावधान विधेयक में है, इसका सीधा असर किसानों व गरीबों पर पडऩा तय है। उन्होंने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों की तरह बिजली उपभोक्ताओं को च्वॉइस के विकल्प से बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार की बातें महज प्रोपेगैंडा से ज्यादा कुछ नहीं है।

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