Uttar Pradesh: पूर्व कैबिनेट मंत्री रामवीर उपाध्याय का निधन, हाथरस की राजनीती में निभाई थी अहम भूमिका !
उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री रामवीर उपाध्याय का लम्बी बीमारी के चलते निधन हो गया है। शुक्रवार की देर शाम उनके निधन की सूचना मिलते ही समर्थकों में मातम छा गया।
उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री रामवीर उपाध्याय का लम्बी बीमारी के चलते निधन हो गया है। शुक्रवार की देर शाम उनके निधन की सूचना मिलते ही समर्थकों में मातम छा गया। वह हाथरस जिले की सादाबाद सीट से 5 बार विधायक बने। उन्हें इस बार के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि वह चुनाव के पहले से ही बीमार चल रहे थे।
पहली ही बार में बने मंत्री !
रामवीर उपाध्याय का जन्म हाथरस के बामोली गांव में 1957 में हुआ था। उनकी शिक्षा हाथरस में ही हुई। फिर उन्होंने LLB करके मेरठ और गाजियाबाद में वकालत भी की। साल 1991 के चुनाव से पहले वे क्षेत्र में सक्रिय हुए। 1996 में वह हाथरस से BSP के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते। उन्हें पहली ही बार में मायावती के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया।
हाथरस को अलीगढ़ से किया अलग !
रामवीर उपाध्याय ने 3 मई 1997 को हाथरस को अलीगढ़ से अलग करके नया जिला बनवाने का श्रेय हासिल हुआ। हाथरस सीट से वह BSP की टिकट पर 1996, 2002 व 2007 में विधायक चुने गए और हर बार मायावती मंत्रिमंडल में उन्हें मंत्री बनाया गया। रामवीर उपाध्याय 2012 का चुनाव हाथरस की सिकंदराराऊ सीट से लड़े और जीते थे।
जिले की सभी सीटों से बने विधायक !
रामवीर उपाध्याय साल 2017 में सादाबाद विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने। उन्हें जिले की सभी सीटों से विधायक बनने का मौका मिला। उनकी पत्नी और पूर्व सांसद सीमा उपाध्याय हाल ही में भाजपा में शामिल हुई हैं जो जिला पंचायत की अध्यक्ष है। उसके बाद उन्हें BSP से निष्कासित कर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली।
बीमारी के चलते हारे अपना आखिरी चुनाव !
रामवीर उपाध्याय को साल 1997 से लेकर 2017 तक कोई हरा नहीं पाया। इस बार बीमारी की हालत में ही उन्होंने भाजपा की सदस्यता अपने आगरा आवास पर ली थी। पार्टी ने उन्हें सादाबाद से टिकट दिया था, लेकिन बीमार होने के कारण वह प्रचार नहीं कर सके। जिसके कारण वह 2022 का चुनाव हार गए।