Varun Gandhi statement: 11,000 करोड़ खर्च के बावजूद प्रदूषण क्यों: वरुण गाँधी

बीजेपी सांसद वरुण गाँधी अकसर अपनी ही राजनैतिक पार्टी के फैसलों और कामो से खफा हुए नज़र आते है दिन मंगलवार को वरुण गाँधी ने अपने ट्वीटर अकाउंट से एक विडिओ जारी किया

बीजेपी सांसद वरुण गाँधी अकसर अपनी ही राजनैतिक पार्टी के फैसलों और कामो से खफा हुए नज़र आते है दिन मंगलवार को वरुण गाँधी ने अपने ट्वीटर अकाउंट से एक विडिओ जारी किया जिसमे उन्होंने सीधे केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि गंगा हमारे लिए सिर्फ नदी नहीं, ‘मां’ है। करोड़ों देशवासियों के जीवन, धर्म और अस्तित्व का आधार है मां गंगा।इसलिए नमामि गंगे पर 20,000 करोड़ का बजट बना। 11,000 करोड़ खर्च के बावजूद प्रदूषण क्यों? गंगा तो जीवनदायिनी है, फिर गंदे पानी के कारण मछलियों की मौत क्यों? जवाबदेही किसकी?

दरअसल आपको बताते चले यह विडिओ वाराणसी ले शिवाला घाट का हैं वहीं वरुण के इस ट्वीट के बाद गंगा में पाई गयी हज़ारो मृत मछलिया सियासी गलियारों में एक चर्चा का विषय बन चुकी हैं।

पहले भी साध चुके है,अपनी ही पार्टी के कामो पर निशाना

आपको बता दे कि वरुण गाँधी ने पहले भी केंद्र सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा था कि आज हर सशक्त राष्ट्र की बुनियाद प्रतिभाशाली वैज्ञानिक हैं।शिक्षा एवं शोध बजट को वरीयता न देने की वजह से पहले ही देश का बेस्ट टैलेंट् हमसे दूर जा चुका है। और अब हम उनकी वापसी पर ‘उम्र की सीमा’ तय कर रहे हैं।जिन्हें प्रोत्साहन चाहिए उनका मनोबल तोड़ भारत ‘विश्वगुरु’ कैसे बनेगा? दरअसल उन्होंने यह ट्वीट डीएसटी इंस्पायर फैकल्टी योजना में आवेदकों की उम्र सीमा को लेकर सरकार पर निशाना साधा था।

दूध, दही, मक्खन पर भी GST लागे करने पर उठाए थे सवाल।

वरुण गाँधी ने इसके पहले 18 जुलाई को भी सरकार पर गरीबो पर आहात करने का आरोप लगया था उन्होंने सीधे सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि आज से दूध, दही, मक्खन, चावल, दाल, ब्रेड जैसे पैक्ड उत्पादों पर GST लागू है।रिकार्डतोड़ बेरोजगारी के बीच लिया गया यह फैसला मध्यमवर्गीय परिवारों और विशेषकर किराए के मकानों में रहने वाले संघर्षरत युवाओं की जेबें और हल्की कर देगा।जब ‘राहत’ देने का वक्त था, तब हम ‘आहत’ कर रहे हैं।

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