जानिए क्या है योगी का डीबीटी प्लान, जो बनाएगा बच्चों कि शिक्षा को आसान !

अबतक राज्य सरकार दो जोड़ी यूनिफॉर्म के लिए 600 रुपये, स्कूल बैग के लिए 175 रुपये, जूते-मोजे के लिए 125 रुपये, स्वेटर के लिए 200 रुपये देती थी

संक्षेप में

यूपी के बेसिक शिक्षा परिषद में डीबीटी के माध्यम से आज सीएम योगी ने छात्र/अभिभावकों के खाते में 1200 रुपये की राशि हस्तांतरण कि गयी है। यह कार्यक्रम लखनऊ के इंदिरा गाँधी प्रतिष्ठान में संपन्न हुआ है। सीएम ने डीबीटी के माध्यम से 1 करोड़ 92 लाख बच्चों के खाते में इस योजना का पैसा ट्रांसफर किया है।

                  विस्तार से

क्या है सरकार की डीबीटी योजना ?

आज लखनऊ के इंदिरा गाँधी प्रतिष्ठान में सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा डीबीटी के माध्यम से छात्र/अभिभावकों के खाते में राशि हस्तांतरित की गयी। आपको बता दें बेसिक शिक्षा के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को कॉपी, पेंसिल के लिए यह राशि दी जाती है। इस शैक्षणिक सत्र में प्रति छात्र 100 रुपये डीबीटी के माध्यम से दिए जाएंगे। गौरतलब होकि कुछ ही दिन पहले बेसिक शिक्षा विभाग को 1100 रुपये की जगह 1200 रुपये दिए जाने के प्रस्ताव को योगी कैबिनेट ने पारित कर दिया है। अबतक राज्य सरकार दो जोड़ी यूनिफॉर्म के लिए 600 रुपये, स्कूल बैग के लिए 175 रुपये, जूते-मोजे के लिए 125 रुपये, स्वेटर के लिए 200 रुपये हर साल देती थी।

कार्यक्रम की खास बातें

इस कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मोर्य, कैबीनेट मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय, राज्य मंत्री संदीप सिंह, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार गुलाब देवी मौजूद रहे। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार के तहत उत्तर प्रदेश के 9 विद्यालयों के प्रधानाचार्य एवं प्रधानों को सम्मानित किया है। साथ ही सीएम योगी ने डीबी टी के माध्यम 1 करोड़ 92 लाख बच्चों के खाते में बटन दबाकर पैसे किए ट्रांसफर किए। उन्होंने एनसीईआरटी द्वारा तैयार किए गए गणित विज्ञान किट को अध्यापको को प्रदान किया है। तो वहीं इस कार्यक्रम में दीक्षा एप के माध्यम से डिजिटल शिक्षा से जुड़े बच्चो ने दीक्षा एप को चला कर सीएम को दिखाया।

2017 के पहले ‘ कही विद्यालय थे तो कही बच्चे नही थे ‘ – सीएम योगी

इस दौरान सीएम योगी ने कहा कि बेसिक शिक्षा विद्यालय के स्कूली बच्चो के ड्रेस, जूते मौजे ,स्वेटर हेतु DBT के ट्रान्सफर कार्यक्रम मे सभी का स्वागत करता हूं। अप्रैल से स्कूल चलो अभियान की शुरुआत हमने की औऱ उनके अच्छे परिणाम आए। 2 साल कोरोना काल के दौरान जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया था। इसका सबसे बड़ा प्रभाव शिक्षा विभाग पर पड़ा। 2017 के पहले प्रदेश के अलग अलग विद्यालय में जाने का अवसर मिला था। उस समय विद्यालयों की स्थिति ठीक नहीं थी कही विद्यालय थे तो कही बच्चे नही थे। बच्चो के लिए टॉयलेट की व्यवस्था तक नहीं थी।

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