न प्रचार में, न रैली में बच्चों का इस्तेमाल वर्जित है; चुनाव आयोग की गाइडलाइन जारी !

चुनाव आयोग ने इसके लिए गाइडलाइन भी जारी कर दी है। चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार और रैलियों में बच्चों और नाबालिगों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है।

चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। चुनाव आयोग ने इसके लिए गाइडलाइन भी जारी कर दी है। चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार और रैलियों में बच्चों और नाबालिगों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। बच्चों से चुनाव प्रचार के पर्चे बांटने, पोस्टर चिपकाने, पार्टी के झंडे पकड़ाने और नारे लगवाने के लिए न कहें। ऐसा नहीं करने पर चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को कड़ी चेतावनी दी है कि कार्रवाई की जायेगी। इसलिए चुनाव प्रचार में बच्चों का इस्तेमाल करना चुनाव नियमों का उल्लंघन होगा।

चुनाव आयोग ने सख्त शब्दों में साफ कर दिया है कि चुनाव कार्य में बच्चों का इस्तेमाल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बच्चों को किसी भी तरह से चुनाव प्रचार में शामिल करना, उनसे कविता, गीत लेना, बच्चों से प्रचार में नारे लगवाना चुनाव नियमों का उल्लंघन होगा। बच्चों को प्रचार संकेतों का प्रचार करने से भी प्रतिबंधित किया गया है।

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कार्रवाई की जायेगी

यदि कोई उम्मीदवार या राजनीतिक दल चुनाव में बच्चों का उपयोग करता है, तो उन पर बाल श्रम कानूनों और अन्य कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा। जिला निर्वाचन पदाधिकारी एवं निर्वाची पदाधिकारियों को यह कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है। इस बीच, यदि उम्मीदवार के माता-पिता के साथ उनका कोई बच्चा है, तो इसे चुनाव का उल्लंघन नहीं माना जाता है। साथ ही इसे चुनाव प्रचार दिशानिर्देशों का उल्लंघन भी नहीं माना जाएगा। चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि चुनाव प्रचार में बच्चों का इस्तेमाल किया जाता पाया गया तो राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों पर संशोधित बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।

राजनीतिक दलों को इसकी इजाजत नहीं देनी चाहिए

आयोग ने अपनी गाइडलाइंस में बॉम्बे हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है, संशोधित अधिनियम, 2016 के अनुसार सभी राजनीतिक दलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि चुनाव अभियानों में बच्चों का उपयोग नहीं किया जाए और राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों को ऐसा करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।

 

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