#जम्मू कश्मीर : अनुच्छेद 370 को हटे हुए तीन साल, धरती के स्वर्ग का ऐसा है हाल !
पत्थरबाजी और पत्थरबाज दोनों ही गायब, हर शुक्रवार को फिजां में बारूद की गंध घुलने का थम गया सिलसिला
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 ( Article 370 ) को आजाद हुए तीन साल हो चुके हैं। इन तीन सालों में नए जम्मू-कश्मीर के चेहरे में सकारात्मक बदलाव आया है।
विकास का पहिया भी तेजी से घूम रहा
दहशत का माहौल लगभग खत्म हो गया है। डल झील के इलाके में देर रात तक चहल-पहल रहती है। झील में तैरते शिकार पर सैलानियों का शोर दूर-दूर तक सन्नाटा फाड़कर कश्मीर की तस्वीर सामने रखता है। जम्मू-कश्मीर का न सिर्फ माहौल बदला है, बल्कि आर्थिक विकास और पर्यटन को भी पंख मिले हैं। विकास का पहिया भी तेजी से घूम रहा है। अलगाववादियों की जुबान बंद है। अब शटडाउन कॉल नहीं आती है। पथराव करने वाले और पथराव करने वाले दोनों लापता हैं। कश्मीर में इन बदलावों के कुछ और पहलु भी आज हम आपको बताने जा रहे है। आइए जानते है :
देशद्रोहियों पर कार्यवाही, अलगाववादियों की जुबां बंद कराई
धारा 370 हटने के बाद देशद्रोहियों पर जबर्दस्त सख्ती शुरू हो गई है। भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगता है। हुर्रियत (एम) प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक को छोड़कर, लगभग सभी प्रमुख अलगाववादी सलाखों के पीछे हैं। जो बचे हैं उन्होंने या तो अपनी गतिविधियां बंद कर दी हैं या चुप्पी साध रखी है। प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी से जुड़े स्कूलों को भी बंद करने का आदेश दिया गया है। इतना ही नहीं सरकार ने आतंकवाद और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल सरकारी कर्मचारियों पर भी शिकंजा कस दिया है।
कश्मीरी पंडितों को मिला जमीं पर उनका कब्ज़ा
अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से कश्मीरी पंडितों के घर लौटने की उम्मीद जगी है। लेकिन हाल ही में लक्षित हत्याओं की घटनाओं के कारण वे फिर से संदेह से घिरे हुए हैं। अब उन्हें सम्मानजनक घर वापसी की राह मुश्किल लग रही है। पीएम पैकेज के तहत नियुक्त कर्मचारी राहुल भट की 12 मई को हत्या की घटना ने उन्हें सताना शुरू कर दिया है। अभी पैकेज के 1039 कर्मचारियों को अस्थाई आवास मिल सका है। बाकी चार हजार किराए के मकान में रह रहे हैं। उनकी सुरक्षा का क्या? सरकार द्वारा शुरू किए गए पोर्टल का लाभ पंडितों को जरूर मिला है। उन्हें उनकी जमीन वापस मिल गई है जिस पर कब्जा कर लिया गया था।
औद्योगिक क्षेत्र में निवेश के बढ़ते आसार
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद औद्योगिक क्षेत्र में निवेश पर लगी पाबंदियों को हटाने के साथ नए दरवाजे खुल गए हैं। अब तक देश-विदेश से 38 हजार करोड़ से ज्यादा निवेश के प्रस्ताव आ चुके हैं। इनमें पांच लाख लोगों को रोजगार देने की संभावना है। कई प्रतिष्ठित विदेशी कंपनियों ने जम्मू-कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
पर्यटन को लगे पंख
घाटी के वातावरण में आए बदलाव से यहां पर्यटन को भी पंख लग गए हैं। रिकॉर्ड संख्या में पर्यटक आए हैं। मां वैष्णो देवी के भक्तों के साथ कश्मीर में भी सैलानियों का जमावड़ा लगा रहा है। अप्रैल से जुलाई तक चार महीने तक लगभग सभी पर्यटन स्थलों पर होटल, हाउसबोट, शिकारे सभी खचाखच भरे रहे।
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