Glasgow: ग्लासगो स्थित एक संग्रहालय ने भारत को लौटाई 14वीं सदी की धरोहर !
भारत अपनी संस्कृति और विरासत के लिए पूरी दुनिया में एक अलग स्थान रखता रहा हैं पर हमेसा से बहुत से देशों की बुरी नज़र भारत की धरोवरों पर रही हैं।
भारत अपनी संस्कृति और विरासत के लिए पूरी दुनिया में एक अलग स्थान रखता रहा हैं पर हमेसा से बहुत से देशों की बुरी नज़र भारत की धरोवरों पर रही हैं। भारत की ऐसी बहुत सी अमूल्य वस्तुऐं आज भी विदेशी शाशको के कब्जे में हैं। पर अब ग्लासगो स्थित एक संग्रहालय ने भारत सरकार के साथ 14 वीं शताब्दी की इंडो-फारसी तलवार सहित सात कलाकृतियों को वापस लाने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर Signature किया हैं।
कानपुर के एक मंदिर का नक्काशीदार पत्थर का दरवाजा भी शामिल
UK Museum सेवा द्वारा इस तरह का पहला कदम है। ग्लासगो लाइफ म्यूजियम के बयान के अनुसार, स्वामित्व का हस्तांतरण शुक्रवार को भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों की उपस्थिति में हुआ, बता दें ग्लासगो लाइफ म्यूज़ियम जनवरी 2021 से लंदन में भारतीय उच्चायोग के साथ भारतीय कलाकृतियों के प्रत्यावर्तन पर काम कर रहा है।
It is an honour to witness today the #historic ceremony and agreed return of 7 antique #Indian artifacts to the Government of India by #Glasgow City Council@KelvingroveArt @yogrishiramdev @Ach_Balkrishna @IndiaInScotland @HCI_London pic.twitter.com/JiqFKCs2bu
— Sunita Poddar (@Sunita_Poddar) August 19, 2022
जिसमे पुरावशेषों में एक औपचारिक इंडो-फ़ारसीतलवार शामिल है, जिसे 14 वीं शताब्दी का माना जाता है। साथ ही उत्तर प्रदेश के कानपुर के एक हिंदू मंदिर से लिया गया 11वीं सदी का नक्काशीदार पत्थर का दरवाजा है।” बता दें 19वीं शताब्दी के दौरान उत्तरी भारत के विभिन्न राज्यों में मंदिरों और मंदिरों से छह वस्तुओं को हटा दिया गया था, जबकि सातवीं को मालिक से चोरी के बाद खरीदा गया था। सभी सात कलाकृतियां ग्लासगो के संग्रह को उपहार में दी गई थीं।
भारतीय उच्चायुक्त सुजीत घोष ने की पुष्टि
ग्लासगो लाइफ की चेयरपर्सन और ग्लासगो सिटी काउंसिल की संयोजक Bailey Annette Christie ने कहा कि इन वस्तुओं का प्रत्यावर्तन ग्लासगो (Repatriation glasgow) और भारत दोनों के लिए महान ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का है, इसलिए इस महत्वपूर्ण अवसर के लिए हमारे शहर में भारतीय गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। साथ ही भारत के कार्यवाहक उच्चायुक्त सुजीत घोष ने कहा कि ये कलाकृतियाँ भारत की सभ्यतागत विरासत का एक अभिन्न अंग हैं और अब इन्हें घर वापस भेजा जाएगा।