# सियासी चक्र : कांग्रेस की गुलामी छोड़ने वाले आजाद को भाजपा बनाएगी राजा !

उनके इस्तीफे के लिए पीएम मोदी के प्रति उनकी आस्था है, जो बीते वर्ष 9 फरवरी 2021 को प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी संसद से विदाई के समय दी थी

जिस तरह से गुलाम नबी आजाद ने पांच पेज की चिट्ठी लिख कर कांग्रेस से आजादी पा ली है। तमाम सारी कवायदों व कयासों को जन्म दे दिया है। भले ही आजाद ने अपने नेतृत्व की तीन पीढ़ियों को अपने इस्तीफे के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

पीएम मोदी के प्रति उनकी आस्था

लेकिन सच्चाई यह है कि उनके इस्तीफे के लिए पीएम मोदी के प्रति उनकी आस्था है। जो बीते वर्ष 9 फरवरी 2021 को प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी संसद से विदाई के समय दी थी। तब पीएम मोदी इतने भावुक हो गये थे कि उनकी आंख में आंसू आ गये थे। लेकिन तब किसको पता था कि इन आंसुओं की कीमत कांग्रेस को चुकानी पड़ेगी और इससे पिघलेंगे गुलाम।

आपके लिए मेरे द्बार हमेशा खुले रहेंगे

दरअसल यह भाषण गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा से विदाई के दौरान दिया गया था। उन्होंने गुलाम नबी आजाद को सदन में सबके सामने सलूट किया था। मोदी ने तब यह कहा था कि आपके लिए मेरे द्बार हमेशा खुले रहेंगे। अनुभव बहुत काम आता है। आपको मैं निवृत्त नहीं होने दूंगा। तभी यह कयास लगाये गये थे लेकिन समय आते-आते इस पर चर्चा बंद हो गयी।

किसी तरह का रिस्क लेने को तैयार नहीं

गौरतलब है कि आगामी दिसंबर से लेकर मार्च 2023 के बीच जम्मू कश्मीर में चुनाव कराया जाना तय है। धारा – 370 हटने के बाद जम्मू में पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। जिसके लिए भाजपा किसी तरह का रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं। धारा-370 हटने के बाद अगर भाजपा किसी तरह सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो सकी तो यह संदेश जायेगा कि 370 हटना जम्मू के लोगों को ही पसंद नहीं आया।

बीजेपी को जहां भी जगह मिलेगी फायदा होगा

गुलाम नबी आजाद इसी श्रृंखला की अहम कड़ी हैं। पार्टी की जम्मू-कश्मीर इकाई के कोर ग्रुप ने शुक्रवार शाम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर उन क्षेत्रों पर रणनीति बनाने के लिए बैठक की जहां पार्टी खुद को मजबूत कर सकती है। भाजपा को लगता है कि कांग्रेस के कमजोर होने से बीजेपी को जहां भी जगह मिलेगी फायदा होगा। मुकाबला आजाद की नई पार्टी,राकांपा और पीडीपी के बीच होगा। गुलाम नबी आजाद, फारूक अब्दुल्ला की पार्टी के विकल्प के रूप में उभर सकते हैं,क्योंकि दोनों की छवि नरम राष्ट्रवादी की है।

अपना खुद का राजनीतिक संगठन लॉन्च करेंगे

आजाद के कांग्रेस से बाहर निकलने और इस खुलासे से कि वह अपना खुद का राजनीतिक संगठन लॉन्च करेंगे ने भाजपा को उम्मीद दी है। 2014 के चुनाव में जब जम्मू.कश्मीर और लद्दाख एक साथ मिलकर पूर्ण राज्य थे,कांग्रेस ने 12 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी ने 25 सीटें। कश्मीर में आजाद का अपना अलग सियासी वजूद है और उसका असर भी देखने को मिल रहा है।

भाजपा के सहयोग से गुलाम से राजा

उनके समर्थन में प्रदेश के छह पूर्व विधायकों ने भी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर आजाद का दामन थाम लिया। भाजपा इसी कोशिश में थी गुलाम का फायदा कांग्रेस को न मिले और वह फिलहाल इसमें कामयाब रही है। अब आजाद को भी उम्मीद जगी है कि वह भाजपा के सहयोग से गुलाम से राजा बन सकेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button