Heeraben’s Life and Principles: कुछ ऐसी थीं पीएम मोदी की मां हीराबेन !
देश के प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की मां हीराबेन का शुक्रवार तड़के अहमदाबाद में निधन हो गया है। इसकी जानकारी खुद प्रधानमंत्री ने ट्वीट करके दी है।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की मां हीराबेन का शुक्रवार तड़के अहमदाबाद में निधन हो गया है। इसकी जानकारी खुद प्रधानमंत्री ने ट्वीट करके दी है। उन्होंने अपने ट्वीट में भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि ‘शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम। मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्राए निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है’। उन्होंने आगे लिखा कि.. मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी जो हमेशा याद रहती है कि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से।
मोदी अपनी मां के लिए कहते हैं कि
वैसे तो प्रधानमंत्री ने खुद कई बार मचों से व अपने विभिन्न संवाद के माध्यम से अपने जीवन और चरित्र का श्रेय अपनी मां को दिया है। प्रधानमंत्री ने अपनी मां हीराबा के 100 वें जन्मदिन 18 जून को बहुत सी बातें अपनी मां को लेकर शेयर थीं। आज हम उन्हीं बातों को आप तक पहुंचाते हुए हीराबा को श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी अपनी मां के लिए कहते हैं कि
पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा था
माँ न सिर्फ बच्चे को जन्म देती है बल्कि उनके दिमागए व्यक्तित्व और आत्मविश्वास को भी आकार देती है। मुझे कोई संदेह नहीं कि मेरे जीवन और चरित्र में जो कुछ भी अच्छा है, उसका श्रेय मेरी माँ को जाता है। पीएम मोदी ने अपने ब्लाग में लिखा था कि घर का खर्च चलाने के लिए माँ कुछ घरों में बर्तन मांजती थी।अतिरिक्त कमाई के लिए वो चरखा चलातीं, सूत काततीं। मां दूसरों पर निर्भर रहने या अपना काम करने के लिए दूसरों से अनुरोध करने से बचती थीं।
माँ का संघर्ष
मानसून हमारे मिट्टी के घर के लिए मुसीबत बनकर आता था। बरसात के दिनों में हमारी छत टपकती थी और घर में पानी भर जाता था। मां बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए लीकेज के नीचे बर्तन रख देती थीं। इस विपरीत परिस्थिति में भी माँ सहनशीलता की प्रतीक थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि वह अगले कुछ दिनों तक इस पानी का इस्तेमाल करतीं। जल संरक्षण का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है।
पीएम मोदी अपनी ब्लाग में लिखते हैं कि
माँ इस बात का खास ख्याल रखती थी कि बिस्तर साफ और ठीक से बिछा हुआ हो। वह बिस्तर पर धूल का एक कण भी बर्दाश्त नहीं करती थी। हल्की सी सिलवट का मतलब था कि चादर को झाड़ा जाएगा और फिर से बिछाया जाएगा। इस आदत को लेकर भी हम
सभी काफी सावधान थे। मैं जब भी उनसे मिलने गांधीनगर जाता हूं तो वह मुझे अपने हाथों से मिठाई खिलाती हैं और एक छोटे बच्चे की दुलारी माँ की तरह, वह एक रुमाल निकालती हैं और मेरे खाना खत्म करने के बाद मेरे चेहरे को पोंछ देती हैं। वह हमेशा अपनीसाड़ी में एक रुमाल या छोटा तौलिया लपेट कर रखती हैं।
हीराबा के 100 वें जन्मदिन पर मोदी मां के बारे में शेयर करते हुए लिखते हैं कि
मेरे पिता सुबह चार बजे ही काम पर निकल जाते थे। उनके कदमों की आहट पड़ोसियों को बताती कि सुबह के 4 बज रहे हैं और दामोदर काका काम पर जा रहे हैं। वो अपनी छोटी सी चाय की दुकाने खोलने से पहले पास की मंदिर में प्रार्थना जरूर करने जाते थे। मां भी उतनी ही समय की पाबंद थीं। वह भी पिता के साथ उठती और सुबह ही कई काम निपटा देती थीं।
नरेंद्र मोदी की मां आ रही
अनाज पीसने से लेकर चावल-दाल छानने तक मां के पास कोई सहारा नहीं था। उसने कभी हमसे मदद भी नहीं मांगी। मुझे खुद लगता था कि मदद करनी चाहिए। मैं घर से सारे मैले कपड़े ले जाता और उन्हें तालाबसे धो लाता। कपड़े धोना और मेरा खेलना, दोनों साथ-साथ हो जाया करते थे। अपने ब्लाॅग में पीएम मोदी बताते हैं कि
जब मैं संगठन में काम करता था। ज्यादा बिजी होने की वजह से परिवार के संपर्क में बहुत कम रह पाता था। उस दौरान मेरे बड़े भाई मां को केदारनाथ ले गए। वहां स्थानीय लोगों को ये बात पता चल गई कि नरेंद्र मोदी की मां आ रही हैं। वे सड़कों पर बुजुर्ग महिलाओं से पूछते रहे कि क्या वे नरेंद्र मोदी की मां हैं। अंत में वे मां से मिले। उन्हें कंबल और चाय दी। केदारनाथ में उनके ठहरने की आरामदायक व्यवस्था की। बाद में जब वह मुझसे मिलीं तो बोलीं ऐसा लगता है कि तुम कुछ अच्छा काम कर रहे हैं, क्योंकि लोग तुमको पहचानते हैं।
पीएम मोदी अपनी मां के धर्म और आस्था के बारे में बताते हुए लिखते हैं कि
मां की ईश्वर में अगाध आस्था है, लेकिन साथ ही वह अंधविश्वासों से दूर रहीं और हममें भी वही गुण पैदा किए। पिता की इच्छा पर एक बार हमारा परिवार पूजा के लिए नर्मदा घाट गया था। तीन घंटे का सफर था। जबरदस्त गर्मी से बचने के लिए हम सुबह-सुबह ही घर से निकल गए। वहां पहुंचने के बाद कुछ दूरी पैदल ही तय करनी थी। गर्मी बहुत तेज थी। पैदल चलना आसान नहीं था। हमने नदी किनारे-किनारे चलना शुरू किया। मां ने तुरंत ही हमारी बेचैनी को देख लिया। उन्होंने पिता से कुछ देर रुकने और आराम करने को कहा।
मां ने पिता से आसपास से थोड़ा गुड़ लाने को कहा। वे दौड़ते हुए गए और किसी तरह कुछ गुड़ ले आए। गुड़ और पानी ने हमें फौरन ही ताकत दी और हम सभी दोबारा पैदल चल निकले। उस तपती धूप में पूजा के लिए जाना, मां की सजगता और पिता का गुड़ लेकर आना, वे सभी बातें मुझे आज भी याद रहती हैं।
मां जानती थी मैं खुद को परख रहा था।
पीएम मोदी अपने प्रति अपनी मां के प्यार को याद करते हुए लिखते हैं कि मैं अपने भाई-बहनों की तुलना में थोड़ा अलग हुआ करता था। मेरी खास आदतों और असामान्य प्रयोगों की अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए मां को अक्सर विशेष प्रयास करने पड़ते थे। मां ने कभी इसे बोझ नहीं समझा न ही कभी इससे कभी परेशान हुईं।
मैं अक्सर कई महीनों के लिए नमक छोड़ देता था। कई हफ्तों के लिए दूध या अनाज नहीं खाता था या केवल दूध पीता था। कई बार मैं छह-छह महीनों तक मिठाई नहीं खाता था। सर्दियों में मैं खुले में सोता था और मटके के पानी से नहाता था। मां जानती थी मैं खुद को परख रहा था। वह कभी मुझे रोकती नहीं थी। बस इतना कहतीं- सब ठीक है, जैसा तुम्हारा मन करे करो।
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