लखनऊ: नगर निगम अफसरों से मिली भगत कर किया फर्जीवाड़ा, हाउस टैक्स को कम ज्यादा करने का चल रहा है काम !

नगर निगम अफसरों से मिली भगत कर हाउस टैक्स को कम ज्यादा तथा दूसरे का मकान किसी दूसरे नाम करने का खेल चल रहा है। अफसर भले ही इस हेराफेरी से अपने आप को बचाते हों

नगर निगम अफसरों से मिली भगत कर हाउस टैक्स को कम ज्यादा तथा दूसरे का मकान किसी दूसरे नाम करने का खेल चल रहा है। अफसर भले ही इस हेराफेरी से अपने आप को बचाते हों पर, उनकी आईडी से ही सारा फर्जीवाड़ा हो रहा है। कई मकानों में हाउस टैक्स काफी कम कर दिया गया। हाउस टैक्स व दाखिल खारिज के फर्जीवाड़े में यहां के अफसर भी शामिल हैं। उनकी आईडी और पासवर्ड से फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। कुछ मामले उजागर हुए तो अफसरों ने ठीकरा बाबुओं पर फोड़ा। सफाई दी कि उनकी आईडी पासवर्ड का इस्तेमाल बाबुओं ने किया। हालांकि भविष्य में ऐसी गलती न करने के लिए वह क्षमा भी मांग रहे हैं।

यह खेल अधिकारियों की आईडी से हुआ। नगर निगम के जोन 5 के तत्कालीन जोनल अधिकारी व वर्तमान में जोन 4 गोमती नगर के जोनल अधिकारी सुभाष चंद्र त्रिपाठी की आईडी पासवर्ड से यहां के कुछ मकानों में बड़ा खेल किया। यहां के एक मकान को कन्हैयालाल मंगलानी के नाम नगर निगम में दर्ज किया गया। जबकि नियमानुसार यह मकान उनके नाम हो सकता था। आदर्श नगर के गुरबीर सिंह न प्राथना पत्र से आपत्ति दर्ज कराई थी कि उनका भवन पूर्व में स्वर्गीय हरनाम सिंह के नाम चल रहा था। इसका वाद न्यायालय में विचाराधीन है। इसके बावजूद जोनल अधिकारी का आईडी पासवर्ड लेकर इसका दाखिल खारिज कर दिया गया। जबकि बिना वसीयत की वैधानिकता पर अंतिम निर्णय हुए इसे स्थगित रखना था।

अधिकारियों को बचाया जा रहा

मामले का खुलासा हुआ तो पता चला कि इसमें तो अफसर का आईडी पासवर्ड इस्तेमाल हुआ है। कहा जा रहा है कि केवल कंप्यूटर पर ही आईडी पासवर्ड से मकान का नामांतरण किया गया। इसी तरह ओम नगर के एक मकान का कर निर्धारण 1,75,653 था। इसमें कर निर्धारण 14,400 वार्षिक मूल्य पर कर दिया गया। यहीं के एक और मकान का वार्षिक मूल्य पह 1,80,000 था जिसे 14,760 किया गया। अधिकारी बता रहे हैं कि भवन स्वामी की आपत्ति की सुनवाई के बाद नया वार्षिक मूल्य निर्धारित हुआ। इसी तरह ओम नगर के एक मकान का टैक्स कम करने के मामले में कहा जा रहा है कि फर्म के बंद होने का प्रमाण प्रस्तुत करने पर इसे कम किया गया। इन मामलों में अधिकारियों को बचाया जा रहा है। नामांतरण के मामलों में अधिकारी कह रहे हैं कि जो गलत हुआ है। उसे सही कर दिया जाएगा।

जोनल अधिकारी ने इस मामले में अपर नगर आयुक्त अवनींद्र कुमार सिंह को अपनी सफाई दी है। 22 दिसंबर 2022 को भेजे स्पष्टीकरण में कहा है नामांतरण के संदर्भ में बिना सक्षम अधिकारी के अनुमोदन के कंप्यूटर ऑपरेटर के द्वारा नाम परिव कर दूसरे का नाम दर्ज किया गया। उन्होंने लिखा नामांतरण ऑनलाइन कंप्यूटर में फीडिंग का काम शशि भूषण सिंह द्वितीय श्रेणी लिपिक ने उनकी आईडी का उपयोग कर किया।

जोनल अधिकारी की आईडी का हो रहा इस्तेमाल

तत्कालीन जोनल अधिकारी सुभाष त्रिपाठी की आईडी का इस्तेमाल नगर निगम के तमाम कर्मचारी कर रहे थे। द्वितीय श्रेणी लिपिक ने अपर नगर आयुक्त को भेजे स्पष्टीकरण में लिखा है कि अकेले वह ही नहीं कर अधीक्षक संजय भारती, राजस्व निरीक्षक हरेंद्र प्रताप सिंह, द्वितीय श्रेणी लिपिक प्रेम सागर, हाउस टैक्स, ऑनलाइन अप्लाई, नाम परिवर्तन, म्यूटेशन आदि के लिए कर रहे थे। लिपिक प्रेम सागर तथा इनके साथ संबद्ध कार्यदाई संस्था के कर्मचारी पीयूष कुमार वर्मा तथा सर्वजीत मिश्रा भी इन्हीं जोनल अधिकारी की आईडी का इस्तेमाल कर रहे थे।

मामले में जोनल अफसर सुभाष त्रिपाठी की गर्दन फंस गई है। उन्होंने स्पष्टीकरण के साथ माफी भी मांगी। लिखा है कि वह इस तरह के कृत्य को निरंतर नियंत्रित करते रहे हैं। दायित्वों का निर्वाह नगर निगम हित में शत-प्रतिशत किया है। भविष्य में वह पूरी तरह से अपने कर्तव्यों का निष्ठा पूर्वक पालन करेंगे। अधीनस्थों पर प्रभावी नियंत्रण भी रखेंगे। ताकि इस प्रकार के कृत की भविष्य में पुनरावृत्ति न हो सके।

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