भारत में ब्लड प्रेशर का सबसे बड़ा किलर डायबिटीज, ICMR की रिपोर्ट चौंकाने वाली !

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च या आईसीएमआर के एक शोध पत्र ने भारत की गंभीर स्थिति पर कब्जा किया है।

मधुमेह और उच्च रक्तचाप की समस्या अब हर घर में है। हाल ही में सर्वे में भारत का वह चेहरा सामने आया। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च या आईसीएमआर के एक शोध पत्र ने भारत की गंभीर स्थिति पर कब्जा किया है। हाल ही में विश्व प्रसिद्ध विज्ञान पत्रिका जर्नल ऑफ लैंसेट ऑफ डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी में शोध पत्र प्रकाशित हुआ था। देखा जा सकता है कि देश भर में कुल 101 मिलियन यानी 10.1 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। दूसरी ओर हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या भी काफी अधिक है। देखा गया है कि 31.5 करोड़ यानी 31.5 करोड़ लोग हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे हैं।

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कोलेस्ट्रॉल के मरीजों की संख्या 18.5 करोड़

इसके अलावा शोध पत्र में और भी कई तथ्य सामने आए हैं। ऐसा देखा गया है कि 136 मिलियन या 13.6 करोड़ भारतीय प्रीडायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं, जो डायबिटीज से ठीक पहले की अवस्था है। साथ ही 213 मिलियन यानी 21.3 करोड़ लोग कोलेस्ट्रॉल की समस्या से पीड़ित हैं। इनमें बैड कोलेस्ट्रॉल के मरीजों की संख्या 18.5 करोड़ रक्त में खराब कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग का कारण बन सकता है। यहां तक ​​कि हार्ट अटैक के खतरे से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

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अधिक वजन मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बड़ी बीमारियों को दे सकता है जन्म

इनके अतिरिक्त एक अन्य समस्या का भी शोध पत्र में उल्लेख किया गया है। ICMR के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह समस्या और भी गहरी है. और यह एक अधिक वजन वाला आंकड़ा है। यह देखा गया है कि भारत में 254 मिलियन या 25.4 kt लोग सामान्य मोटापे की समस्या से पीड़ित हैं। वहीं, 35.1 करोड़ लोग पेट के मोटापे से परेशान हैं। यही अधिक वजन मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बड़ी बीमारियों को जन्म दे सकता है।

केंद्र शासित प्रदेशों से डेटा किया जाता है एकत्र

आईसीएमआर-इंडिया डायबिटीज के आंकड़े कुल 1,13,043 भारतीयों पर आधारित हैं। इनमें 33,537 शहरी नागरिक थे। वहीं ग्रामीण नागरिकों की संख्या 79,506 रही। सर्वेक्षण में शामिल सभी लोग 20 या उससे अधिक उम्र के थे। इस सर्वेक्षण के लिए डेटा 2008 और 2020 के बीच एकत्र किया गया था। देश भर के 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से डेटा एकत्र किया जाता है। यह शोध पत्र उसी पर आधारित है। इतनी बड़ी संख्या में सैंपल से जुटाए गए आंकड़े वाकई हैरान करने वाले हैं। जानकारों का मानना ​​है कि आंकड़ों से जो मंजर सामने आ रहा है वह काफी चिंताजनक है।

 

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