पीरियड्स के दौरान महिलायें किन बातों को लेकर रहती है चिंतित !
मैं नारी हूं… मैं जननी हूं.. मैं मां हूं…मैं बेटी हूं..मैं पत्नी.. और किसी की बहन हूं।
मैं नारी हूं… मैं जननी हूं.. मैं मां हूं…मैं बेटी हूं..मैं पत्नी.. और किसी की बहन हूं। मगर पुरुष प्रधान संसार में महिलाओं के इतनी उन्नति करने के बावजूद जन्मो जन्म से..हम पर मासिक धर्म को लेकर किसी ना किसी तरह की यातनाएं और प्रताड़ना ..किसी ना किसी रूप में होती रही। मगर धैर्य और साहस हमारा हथियार है, जो हमें..जीने की शक्ति देता रहा…और यह समाज चलता रहा।
किसके है यह नियम कानून
पुरुषों और महिलाओं की शारीरिक संरचना ईश्वर की सृष्टि का वरदान है। मासिक धर्म इस जैविक प्रक्रिया का ही तो रूप है। मगर जाने क्यों यह संसार, समाज, मुबाशिरा, हमें ऐसे समय में घृणा की दृष्टि से देखता है … जाने क्यों हमें घर, परिवार, और अपनों से दूर कर दिया जाता है। क्या यही सृष्टि का नियम है… नहीं नहीं.. यह सृष्टि का नहीं बल्कि धरती पर रहने वाले मनुष्यों के अपने बनाए हुए नियम कानून है.. जो इस समाज की जननी को समाज से ही अलग कर देते हैं।क्या किसी ने कभी सोचा… हमारी पीड़ा को…शारीरिक पीड़ा को… मानसिक पीड़ा को। हमारे शरीर और हमारे मस्तिष्क में चलते हुए इस अंतरयुद्ध को..हमारे स्वास्थ्य.. सुरक्षा.. जीवन मृत्यु के बीच के संघर्ष को। अफसोस….
सेनेटरी पैड का इस्तेमाल
फिर भी मुझे गर्व है कि …मैं नारी हूं… मैं जननी हूं.. मैं मां हूं…मैं बेटी हूं..मैं पत्नी.. बहू…और किसी की बहन हूं। और आह्वान करती हूं समस्त बहनों से.. कि प्राचीन प्रचलन को छोड़ें और अपने स्वास्थ्य को बचाने के लिए आधुनिक सेनेटरी पैड का इस्तेमाल करके स्वच्छ और स्वस्थ समाज का निर्माण करें। स्वस्थ समाज का निर्माण तो हम नारिया कर ही लेंगे लकिन क्या सरकार को इस विषय पर गंभीर हो कर नहीं सोचना चाहिए जिससे एक महिला को कानूनी अधिकार मिले जिसके तहत महिलावो को प्राइवेट या सरकारी दफतर में छुट्टी मिल सके जिससे वो उस दौरान अपने घर पर समय बिताये और अपने आप को सुरक्षित्त रखे।
समाज के लोगो को भी महिलावों के प्रति अपने नजरिये को बदलना होगा। हमे उन्हें सम्मान के नजर से देखना चाहिए ,और हमे उनका उस दौरान विशेष ध्यान रखना चाहिए हैशटैग भारत ऐसे ही समाज के हिट को ध्यान में रखते हुए लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित करते हुए तातमाम छोटी बड़ी खबरों को दिखता रहेगा धन्यवाद
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