LUCKNOW CRIME: बड़े अस्पतालों की वेबसाइट क्लोन कर धोखाधड़ी करने वाले दो आरोपी गिरफ्तार !

आलमबाग पुलिस ने साइबर सेल की मदद से नामी व बड़े अस्पतालों की वेबसाइट क्लोन कर धोखाधड़ी करने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

आलमबाग पुलिस ने साइबर सेल की मदद से नामी व बड़े अस्पतालों की वेबसाइट क्लोन कर धोखाधड़ी करने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरोह के फरार मुखिया की तलाश में दबिश दी जा रही है। आरोपियों के खिलाफ आलमबाग कोतवाली में 60 हजार रुपये हड़पने का मुकदमा दर्ज किया गया था।

ट्रांजेक्शन मैसेज आने पर हुआ खुलासा

आलमबाग साकेतपुरी निवासी संजीव नारायण सेतु निगम से रिटायर हुए हैं। 14 सितंबर को मेदांता अस्पताल में अपाइंटमेंट लेने के लिए इंटरनेट सर्च किया था। उन्होंने सर्च इंजन में पहले नम्बर पर दिख रही वेबसाइट पर क्लिक कर दिया। अपाइंटमेंट के लिए उनसे दस रुपये का ट्रांजेक्शन करने के लिए कहा गया। संजीव के ऑनलाइन पेमेंट करने के साथ ही आरोपियों ने उनसे ओटीपी पूछ लिया। इसके बाद उनके खाते से करीब 60 हजार रुपये निकल गए। ट्रांजेक्शन मैसेज आने पर उन्हें धोखाधड़ी का पता चला।

एक अयोध्या तो दूसरे को आलमबाग से पकड़ा गया

संजीव ने हजरतगंज साइबर क्राइम सेल में शिकायत करने के साथ ही आलमबाग कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। इंस्पेक्टर साइबर क्राइम सेल रणजीत राय के मुताबिक छानबीन में पता चला कि कुछ रुपये ई-वॉलट अकाउंट में भेजे गए हैं। जिसके आधार पर ई-वालॅट के लिए इस्तेमाल हो रहे मोबाइल नम्बर की डिटेल खंगालते हुए सुलतानपुर जयसिंहपुर निवासी रामसूरत निषाद और अयोध्या हैदरगंज निवासी श्याम प्रसाद को आलमबाग से पकड़ा गया।

गिरोह का मालिक झारखण्ड का निकला

रामसूरत निषाद के मुताबिक झारखंड मधुपुर निवासी सलाउद्दीन अंसारी गिरोह का मुखिया है। वह लोग सलाउद्दीन से सोशल मीडिया के जरिए जुड़े थे। सरगना के बताए तरीके का इस्तेमाल कर लोगों को फंसाया जाता था। वहीं, अकाउंट में ट्रांसफर कराए गए रुपये सलाउद्दीन के पास पहुंचते थे। जिनमें से रामसूरम और श्याम प्रसाद को कमीशन मिलता था।

फेक वेबसाइट बना कर होता था सारा कांड

श्याम प्रसाद के अनुसार वह लोग नामी अस्पताल के नाम से मिलती जुलती वेबसाइट बनाते हैं। जो पहली नजर में देखने पर संदिग्ध नहीं लगती। ठग सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन तकनीक का इस्तेमाल कर फर्जी वेबसाइट को लगातार बूस्ट कराते हैं। जिससे वेबसाइट पहले नम्बर पर दिखने लगती है। अधिकांश लोग बिना कुछ देख पहले नम्बर पर आने वाली वेबसाइट को ही क्लिक करते हैं।

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