# सुभाष चंद्र बोस पुण्यतिथि : तब हिटलर ने माना था ‘ बोस को बॉस ‘, जानिए रोचक कहानी !

बिना युद्ध के नेता जी सुभाष चंद्र बोस के सामने झुक गया था जर्मनी का तानाशाह हिटलर, अपने बयान को लेकर मांगी थी माफ़ी

दूसरे विश्वयुद्ध में पूरी दुनिया को हिला देने वाले जर्मनी के तानाशाह हिटलर के बारे में तो आपने सुना ही होगा। कैसे उसने अपने रवैये से पूरे विश्वयुद्ध में आतंक मचा दिया था।

पुण्यतिथि पर एक रोचक किस्सा

लेकिन क्या आपको पता है इस क्रूर व तानाशाह शासक को किसने बिना किसी युद्ध के झुकाया था ? जी हाँ वो नाम है नेता जी सुभाष चंद्र बोस ! हैरान न होहिए आज हम आपको नेता जी की 77 वीं पुण्यतिथि पर ऐसा ही एक रोचक किस्सा बताने जा रहे है। जिसके बारे में आपने शायद ही कभी सुना होगा :

नेता जी पहली बार हिटलर से मिलने पहुंचे

बात दूसरे विश्वयुद्ध की है जब जर्मनी युद्ध जीतने के अपने आखरी पड़ाव पर था। बस उसे ब्रिटिश सेना को हराना था। नेता जी 1942 में हिटलर से पहली बार उनके आवास पर मिलने पहुंचे थे। हिटलर ने नेताजी को एक कमरे में बिठाया था। उस समय हिटलर के पास उसके कुछ अंगरक्षक थे, जो बिल्कुल हिटलर की तरह दिखते थे और उन्हें पहचानना काफी मुश्किल था।

हाथ मिलाने से पहले अपने दस्ताने उतार दें

थोड़ी देर बाद हिटलर जैसे कपड़े पहने एक व्यक्ति आगे आया और उसने हाथ उठाकर कहा कि मैं हिटलर हूं। बोस ने कहा मैं सुभाष भारत से हूं… लेकिन तुम हिटलर नहीं हो। इसके बाद वह व्यक्ति चला गया। तभी एक और व्यक्ति आया। उसने हाथ बढ़ाकर कहा कि मैं हिटलर हूं। बोस ने कहा कि मैं सुभाष भारत से हूं… लेकिन तुम हिटलर नहीं हो।

तीसरी बार फिर एक व्यक्ति ठीक उसी पोशाक में आया और नेताजी के सामने खड़ा हो गया। कुछ चुप्पी के बाद सुभाष चंद्र बोस ने कहा कि मैं सुभाष हूं। मैं भारत से हूं, लेकिन हाथ मिलाने से पहले अपने दस्ताने उतार दें, क्योंकि मुझे दोस्ती के बीच कोई दीवार नहीं चाहिए। जब हिटलर ने बोस से पूछा कि वह उसे कैसे पहचान गए। इस पर बोस ने कहा कि पहले दो व्यक्ति पहले ही हाथ उठा चुके थे। जबकि जो मिलने आता है वह पहले हाथ उठाता है। हिटलर बोस के इस अंदाज का कायल हो गया। और उसने नेता जी की मदद करने का मन बना लिया।

मौत पर आज भी विवाद बना हुआ

हिटलर ने बोस से मिलने से पहले एक किताब में भारतीयों की तुलना यहूदियों और अफ्रीकियों करते हुए विवाद से भरा बयान दिया था। लेकिन नेता जी से मिलने के बाद उसने माफ़ी मांगी। इसके साथ ही हिटलर ने बोस से विवादित बातें हटाने का वादा भी किया था। कहा जाता है कि 18 अगस्त, 1945 को जापान जाते वक्त ताइवान के पास नेताजी का दुर्घटना में निधन हो गया। हालांकि उनका शव आजतक किसी को नहीं मिल पाया है। इतना ही नहीं नेताजी की मौत पर आज भी विवाद बना हुआ है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button