# धर्म : जानिए हाथ में कलावा बांधने का वैज्ञानिक कारण !

जब आप किसी पूजन या अनुष्ठान में बैठते हैं तो पंडित जी द्वारा आपके हाथ में एक विशेष प्रकार का धागा जिसे कलावा या मौली कहते हैं

पने खासकर भारत में देखा होगा कि लोग अपने हाथ में लाल रंग का धागा बांधते है। कुछ नेताओं या फिर आर्ट एंड कल्चर से जुड़े हुए युवाओं के हाथ में इस धागे को बंधा हुआ देखा होगा है।

क्या कलरफुल धागा और कलावा में कोई अंतर है

जब आप किसी पूजन या अनुष्ठान में बैठते हैं तो पंडित जी द्वारा आपके हाथ में एक विशेष प्रकार का धागा जिसे कलावा या मौली कहते हैं, बांधते हैं। सवाल यह है कि क्या कलरफुल धागा और कलावा में कोई अंतर है। पूजन या अनुष्ठान में कलावा क्यों बांधा जाता है। आइए इस मजेदार सवाल का जवाब तलाशते हैं:-

कलावा बांधने का वैज्ञानिक कारण

दरअसल मौली का धागा कच्चे सूत से तैयार किया जाता है और, यह कई रंगों जैसे, लाल, काला, पीला अथवा केसरिया रंगों में होती है। ज्यादातर लोग सही कलाई में बांधते हैं। शास्त्रानुसार कलावा बांधने से मनुष्य को भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती एवं सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। मनुष्य बुरी दृष्टि से बचा रहता है औरस्वास्थ्य में बरकत होती है।

गंभीर रोगों से कलावा बचाने में सहायक

कलावा बांधने के वैज्ञानिक कारण पर नज़र डालें तो इससे वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्टअटैक और लकवा जैसे गंभीर रोगों से कलावा बचाने में सहायक है। आदिकाल वैद्य इसीलिए हाथ, कमर, गले व पैर के अंगूठे में इसे बंधवाते थे।

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