मरे हुए व्यक्तियों को बैंक से दिला देते थे लोन, ऐसे धरे गए !
दोनों आरोपी एक बीमा कंपनी में लंबे समय तक काम किया था, इसलिए उनकी पहुँच डेटा तक आसानी से हो जाती थी
लखनऊ की विभूतिखंड पुलिस ने मृतक के दस्तावेज लगाकर बैंकों और फाइनेंस कंपनियों से कर्ज लेने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपी एक निजी बीमा कंपनी में कार्यरत हैं। इनके कब्जे से तीन बैंकों के फर्जी पैन कार्ड, आधार कार्ड और एटीएम कार्ड बरामद किए गए हैं।
उनकी पहुँच डेटा तक आसानी से थी
एडीसीपी पूर्व सीनियर अली अब्बास ने बताया कि रायबरेली नूराना नगर निवासी मृगंक सहाय व रायबरेली मिल क्षेत्र निवासी अभिषेक भारती को विभूतिखंड से गिरफ्तार किया गया है। मृगांक ने कहा कि कोरोना महामारी से कई लोगों की समय से पहले मौत हो चुकी है। ऐसे में बीमा क्लेम भी काफी बढ़ गए हैं। उसने और अभिषेक दोनों ने एक बीमा कंपनी में लंबे समय तक काम किया था, इसलिए उनकी पहुँच डेटा तक आसानी से थी।
बैंक जाने की बजाय दूसरे खातों में ऑनलाइन पैसा भेज रहे
ऐसे मामलों में दोनों को मृतक के आधार और पैन कार्ड की जानकारी मिल जाएगी। जिसके इस्तेमाल से नए दस्तावेज तैयार किए गए। इन दस्तावेजों में मृतक का नाम और पता होता है। वहीं आरोपी खुद फोटो डालता था। जो कंप्यूटर द्वारा बनाए गए थे। जांच में यह भी सामने आया है कि कर्ज मंजूर करने के बाद वे बैंक जाने की बजाय दूसरे खातों में ऑनलाइन पैसा भेज रहे हैं। साथ ही ये बैंक खाते भी जाली दस्तावेजों से खोले गए थे। खाते में पैसे आते ही मृगंक और अभिषेक एटीएम से पैसे निकाल लेते थे।
दस्तावेजों में हेराफेरी कर कर्ज दिया
एचडीएफसी बैंक के डिप्टी मैनेजर अतुल भारती ने विभूतिखंड कोतवाली में केस दर्ज कराया था। जिसमें विवेक कुमार श्रीवास्तव पर 20 लाख का पर्सनल लोन लेकर ठगी करने की बात कही गई थी। एडीसीपी के मुताबिक मामले की जांच के बाद पता चला कि मृतक के दस्तावेजों में हेराफेरी कर कर्ज दिया गया था।
विभिन्न बैंकों में कर्ज के लिए आवेदन किया
बैंक खाते के लेन-देन की जांच करने और दस्तावेजों में तस्वीरों का मिलान करने के बाद मृगंक और अभिषेक की संलिप्तता सामने आई। इसके आधार पर दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। एडीसीपी के मुताबिक 50 लाख की धोखाधड़ी का मामला साबित हो गया है। आरोपियों ने विभिन्न बैंकों में कर्ज के लिए आवेदन किया है।