रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भारत का बयान आया सामने !
जिसमे उसके द्वारा कहा गया है कि वह देश का "समर्थक" करेगा व द्वीप राष्ट्र की "स्थिरता और आर्थिक सुधार" में मदद करेगा
श्रीलंकाई संसद द्वारा बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को अपना नया राष्ट्रपति चुने जाने पर भारत का बयान सामने आया है। जिसमे उसके द्वारा कहा गया है कि वह देश का “समर्थक” करेगा व द्वीप राष्ट्र की “स्थिरता और आर्थिक सुधार” में मदद करेगा।
अभी भी स्थितियां सामान्य नहीं हो पाई
आपको बता दें गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफा देने के कुछ दिनों बाद, विक्रमसिंघे को श्रीलंका का आठवां कार्यवाहक राष्ट्रपति नामित किया गया था। एक दमनकारी आर्थिक संकट पर जनता द्वारा अथक विरोध के महीनों के बाद अभी भी स्थितियां सामान्य नहीं हो पाई है। साथ ही जनता को प्रति घंटा बिजली कटौती के अलावा आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को लेकर जूझना पड़ रहा है।
दोस्त और पड़ोसी व एक साथी लोकतंत्र के रूप में
श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने एक बयान में कहा, “श्रीलंका की संसद ने श्रीलंका के संविधान के प्रावधानों का प्रयोग करते हुए आज महामहिम श्री रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका का राष्ट्रपति चुना है।” भारत ने जारी अपने बयान में आगे कहा कि ” श्रीलंका के एक करीबी दोस्त और पड़ोसी व एक साथी लोकतंत्र के रूप में है। हम लोकतांत्रिक साधनों और मूल्यों, स्थापित लोकतांत्रिक संस्थानों और एक संवैधानिक ढांचे के माध्यम से स्थिरता रखेंगे। साथ ही आर्थिक सुधार के लिए श्रीलंका के लोगों की खोज का समर्थन करना जारी रखेंगे।”
लोगों की आकांक्षाओं की प्राप्ति का समर्थन
इससे पहले दिन में, भारत उन दावों को खंडन करने में व्यस्त थी जिसमें वह राष्ट्रपति की नियुक्ति के संबंध में श्रीलंका के राजनीतिक नेताओं को प्रभावित करने के प्रयास कर रहा था। उच्चायोग ने कहा, “वे स्पष्ट रूप से किसी की कल्पना की उपज हैं।” “यह दोहराया जाता है कि भारत लोकतांत्रिक साधनों और मूल्यों, स्थापित संस्थानों के साथ-साथ संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार श्रीलंका के लोगों की आकांक्षाओं की प्राप्ति का समर्थन करता है। साथ ही किसी अन्य देश के आंतरिक मामलों और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप नहीं करता है।”