सजा देने के बजाय न्याय देने पर फोकस, अहम धाराओं में बदलाव !

नए कानून अब भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम कहे जाएंगे, इनमें शामिल धाराओं का क्रम भी बदल गया है।

भारत में अंग्रेजों के जमाने के इन आपराधिक कानूनों की जगह लेने वाले तीन संशोधन विधेयकों को सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी। तीनों नए कानून अब भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम कहे जाएंगे,कानूनों में बदलाव के साथ ही इनमें शामिल धाराओं का क्रम भी बदल गया है।

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साथ ही किसी भी जुर्म के होने पर अपराधी को पकड़कर सजा दिलाने से पहले घटना की प्रथम रिपोर्ट यानी FIR लिखने तक का सारा प्रोसेस अब बदल चूका हैं , पुलिस वाले भी इस बदलाव से कंफ्यूज होगए है।

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भारतीय न्याय संहिता में क्या बदलाव किया गया है ?

दिल्ली पुलिस के पूर्व ACP और दिल्ली पुलिस महासंघ के चीफ वेदभूषण ने बताया कि गुलामी की प्रतीक इंडियन पीनल कोड अब भारतीय न्याय संहिता के बतौर विक्टिम फ्रैंडली बनाया गया है, लेकिन पूरी तरह से इन बदलावों को समझने में कम से कम महीने भर का वक्त लगेगा |

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सजा देने के बजाय न्याय देने पर फोकस

बता दें कि IPC में 511 धाराएं थीं, जो कम होकर भारतीय न्याय संहिता में सिर्फ 358 रह गई हैं, यही वजह है कि शामिल धाराओं का क्रम भी बदल गया है 25 दिसंबर को राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद विधेयक कानून बन गए। संसद में इसपर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इनमें सजा देने के बजाय न्याय देने पर फोकस किया गया है।

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अहम धाराओं में बदलाव क्या क्या आए है ?

  • आईपीसी की धारा 124 राजद्रोह से जुड़े मामलों में सजा का प्रावधान रखती थी। नए कानूनों के तहत ‘राजद्रोह’ को एक नया शब्द ‘देशद्रोह’ मिला है यानी ब्रिटिश काल के शब्द को हटा दिया गया है। भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 7 में राज्य के विरुद्ध अपराधों कि श्रेणी में ‘देशद्रोह’ को रखा गया है।
  • घातक हथियार से लैस होकर गैरकानूनी सभा में शामिल होना के बारे में धारा 144 को भारतीय न्याय संहिता के अध्याय 11 में सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा गया है। अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 187 गैरकानूनी सभा के बारे में है।
  • पहले किसी की हत्या करने वाला धारा 302 के तहत आरोपी बनाया जाता था। हालांकि, अब ऐसे अपराधियों को धारा 101 के तहत सजा मिलेगी। नए कानून के अनुसार, हत्या की धारा को अध्याय 6 में मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराध कहा जाएगा।
  • नए कानून के अस्तित्व में आने से पहले हत्या करने के प्रयास में दोषी को आईपीसी की धारा 307 के तहत सजा मिलती थी। अब ऐसे दोषियों को भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 के तहत सजा सुनाई जाएगी। इस धारा को भी अध्याय 6 में रखा गया है।
  • दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा को पहले आईपीसी की धारा 376 में परिभाषित किया गया था। भारतीय न्याय संहिता में इसे अध्याय 5 में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में जगह दी गई है। नए कानून में दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा को धारा 63 में परिभाषित किया गया है। वहीं सामूहिक दुष्कर्म को आईपीसी की धारा 376 डी को नए कानून में धारा 70 में शामिल किया गया है।
  • पहले मानहानि के मामले में आईपीसी की धारा 399 इस्तेमाल की जाती थी। नए कानून में अध्याय 19 के तहत आपराधिक धमकी, अपमान, मानहानि, आदि में इसे जगह दी गई है। मानहानि को भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में रखा गया है।
  • भारतीय न्याय संहिता में धोखाधड़ी या ठगी का अपराध 420 में नहीं, अब धारा 316 के तहत आएगा। इस धारा को भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 17 में संपत्ति की चोरी के विरूद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा गया है।

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