‘ मैं स्वतंत्र भारत में जन्म लेने वाली पहली राष्ट्रपति बनी हूं ‘ : द्रौपदी मुर्मू

अपने भाषण के दौरान उन्होंने मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है जब हम अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे

द्रौपदी मुर्मू ने भारत गणराज्य के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने मुर्मू को शपथ दिलाई। शपथ लेने के बाद द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं स्वतंत्र भारत में जन्म लेने वाली पहली राष्ट्रपति बनी हूं।

उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई

राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद, द्रौपदी मुर्मू ने भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है। वह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं। द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने पर आदिवासी समाज में खुशी का माहौल है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज संसद भवन के सेंट्रल हॉल में देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ ली। इसके बाद उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने उन्हें पद की शपथ दिलाई।

जानिए इस पूरे घटनाक्रम से जुड़ी 5 बड़ी बातें :

  • उनके शपथ ग्रहण के समय मंच पर दायीं तरफ देश के चीफ जस्टिस एन वी रमना, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व बांयी तरफ उपराष्ट्रपति वेंकया नायडू, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला मौजूद थे।
  • सबसे पहले नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुबह राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी।
  • शपथ ग्रहण समारोह से पहले, निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक औपचारिक जुलूस में संसद भवन पहुंचे।
  • अपनी शपथ ग्रहण समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि सामाजिक उत्थान एवं देश-प्रेम के लिए ‘धरती आबा’ भगवान बिरसा मुंडा जी के बलिदान से हमें प्रेरणा मिली थी।
  • 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराकर देश की पहली आदिवासी और शीर्ष संवैधानिक पद संभालने वाली दूसरी महिला बनकर इतिहास रच दिया है।

मैंने अपने जीवन में जंगलों और जल निकायों के महत्व को महसूस किया

उन्होंने आगे कहा कि अभी कुछ दिन पहले भारत ने कोरोना वैक्सीन की 200 करोड़ डोज लगाने का रिकॉर्ड बनाया है। इस पूरी लड़ाई में भारत के लोगों द्वारा दिखाया गया धैर्य, साहस और सहयोग एक समाज के रूप में हमारी बढ़ती ताकत और संवेदनशीलता का प्रतीक है। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि मैं उस आदिवासी परंपरा में पैदा हुई हूं जिसने हजारों सालों से प्रकृति के साथ जीवन को आगे बढ़ाया है। मैंने अपने जीवन में जंगलों और जल निकायों के महत्व को महसूस किया है।

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