परिजनों ने लगाया स्कूल पर जबरन ‘कलमा’ पढ़ाने का आरोप, जाँच में खबर हुई सच !

शिकायत के आधार पर सीसामऊ थाने में जबरन धर्म परिवर्तन व धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के फ्लोरेट्स इंटरनेशनल स्कूल में छात्रों को जबरन कलमा पढ़ाने की खबर सामने आयी है। हाल ही में हुए इस विवाद के बाद पुलिस ने स्कूल के प्रबंध निदेशक सुमित मखीजा के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इस संबंध में माता-पिता की शिकायत के आधार पर सीसामऊ थाने में जबरन धर्म परिवर्तन व धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है।

पूरी फीस वापस करने की मांग 

1 अगस्त 2022 को दर्ज इस मामले में प्राथमिकी में कहा गया है कि स्कूल छात्रों को धर्म परिवर्तन के साथ-साथ ‘जिहाद’ के बारे में शिक्षित करने की कोशिश कर रहा है। जिसके बाद बच्चों के व्यवहार में कुछ बदलाव आया है। शिकायत में कहा गया है कि छात्रों को स्कूल परिसर के अंदर ‘कलमा’ पढ़ने के लिए मजबूर किया गया। इसके अलावा अभिभावकों ने स्कूल को पूरी तरह सील करने और अन्य शाखाओं को बंद करने के साथ ही पूरी फीस वापस करने की भी मांग की है।

सुबह की सभा में इस्लामिक नमाज पढ़ने की प्रथा

फ्लोरेट्स इंटरनेशनल स्कूल में छात्रों को जबरन कलमा पढ़ाने के आरोप पर एसीपी सीसामऊ निशंक शर्मा ने कहा कि शिकायत के बाद उन्होंने स्कूल का दौरा किया था। जिससे इस बात की पुष्टि हुई कि स्कूल में अन्य प्रेयर के साथ सुबह की सभा में इस्लामिक नमाज पढ़ने की प्रथा थी। इसकी शिकायत परिजनों ने की थी, जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज कर जांच की जा रही है।

वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया

घटना का खुलासा सोमवार को तब हुआ जब कानपुर के फ्लोरेट्स इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता नाराज होकर थाने पहुंचे। उन्होंने शिकायत की कि उनके छोटे बच्चों को सुबह की नमाज के दौरान कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई – की पूजा करते हैं

घटना की शिकायत के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और स्कूल प्रबंधन से इस बारे में पूछताछ की। जिसपर स्कूल प्रबंधन की ओर से दावा किया गया था कि “सर्व धर्म सम्मान” की विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए स्कूल में सुबह की प्रार्थना सभा के दौरान चारों धर्मों की प्रार्थनाएं तय की गईं। उन्होंने कहा, “स्कूल के छात्र पिछले 12-13 वर्षों से चार धर्मों – हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई – की पूजा करते हैं। इस दौरान किसी ने कोई आपत्ति नहीं की।

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