‘ लोकतंत्र तभी सफल जब न्याय तक पहुंच व कानून में सभी की भागीदारी सुनिश्चित हो ‘ : सीजेआई
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि जब न्याय व्यवस्था तक गरीबों की पहुंच होगी, तभी वे अपने अधिकारों के हनन पर कानून का इस्तेमाल कर पाएंगे
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा है कि आपराधिक न्याय प्रणाली में पूरी प्रक्रिया एक तरह की सजा है। भेदभावपूर्ण गिरफ्तारी से लेकर जमानत मिलने और विचाराधीन कैदियों को लंबे समय तक हिरासत में रखने तक, समस्या पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
सभी कैदियों में से 80 प्रतिशत पर मुकदमा चल रहा
उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश की जेलों में बंद सभी कैदियों में से 80 प्रतिशत पर मुकदमा चल रहा है। देश में अभी 6.10 लाख से ज्यादा कैदी हैं। हमें उनकी जामनत पर तेज़ी से काम करना होगा। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) अधिनियम इस दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह एक अच्छा प्रयास है।
शनिवार और रविवार को अतिरिक्त काम किया
नालसा ने पिछले एक साल में देश में लंबित पांच करोड़ मामलों में से एक करोड़ मामलों का निपटारा किया है। इसमें हमारे जजों ने शनिवार और रविवार को अतिरिक्त काम किया है। हमारे लिए यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि नालसा की मूल भावना को नहीं भूलना चाहिए।
अधिकारों के हनन पर कानून का इस्तेमाल कर पाएंगे
जयपुर में 18वें अखिल भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि लोकतंत्र तभी सफल माना जाएगा जब न्याय तक पहुंच और कानून में सभी की भागीदारी सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि जब न्याय व्यवस्था तक गरीबों की पहुंच होगी, तभी वे अपने अधिकारों के हनन पर कानून का इस्तेमाल कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि संविधान की मूल भावनाओं को आत्मसात करते हुए न्यायिक प्रणाली में आधुनिक तकनीकों और उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है।