ताजमहल को लेकर उठा विवाद, निर्माण को लेकर उठे सवाल !
हिंदू सेना अध्यक्ष ने स्कूल और कॉलेज के इतिहास की किताबों में इस जानकारी को सही करने की अपील की कि शाहजहां ने ताज महल बनवाया था।

हिंदू सेना अध्यक्ष ने स्कूल और कॉलेज के इतिहास की किताबों में इस जानकारी को सही करने की अपील की कि शाहजहां ने ताज महल बनवाया था। उन्होंने दावा किया कि मामले में इस बात का कोई ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है कि ताज महल को ध्वस्त किया गया था और ताज महल उसी स्थान पर बनाया गया था।
मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने ताज महल नहीं बनवाया था। ऐसा दावा करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित मामला दायर किया गया है। वादी का दावा है कि ताज महल वास्तव में राजा मान सिंह का महल था। बाद में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने इसका जीर्णोद्धार कराया। हिंदू सेना के अध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने यह जनहित मामला हाईकोर्ट में दायर किया है। हिंदू सेना के ऐसे दावे पर हंगामा मच गया है।
ताज महल की उम्र की जांच करने और अदालत को एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश
दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका में यह दावा करते हुए याचिकाकर्ता ने इतिहास की किताबों को सही करने की मांग की है। हिंदू सेना अध्यक्ष ने स्कूल और कॉलेज के इतिहास की किताबों में इस जानकारी को सही करने की अपील की कि शाहजहां ने ताज महल बनवाया था। उन्होंने दावा किया कि मामले में इस बात का कोई ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है कि ताज महल को ध्वस्त किया गया था और ताज महल उसी स्थान पर बनाया गया था। हिंदू सेना अध्यक्ष ने 16 दिसंबर 1631 को अदालत में याचिका दायर की कि एएसआई को राजा मान सिंह के महल के अस्तित्व सहित ताज महल की उम्र की जांच करने और अदालत को एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया जाए।
ताज महल के बारे में गलत जानकारी
उन्होंने दावा किया कि शाहजहाँ ने 1632 से 1638 तक महल का जीर्णोद्धार कराया दावा किया जाता है कि यह बात अब्दुल द्वारा लिखित पादशाहनामा नामक पुस्तक में उल्लिखित जानकारी से पता चलती है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि एएसआई की वेबसाइट पर ताज महल के बारे में गलत जानकारी है। ध्यान दें कि वेबसाइट में बताया गया है कि ताज महल का निर्माण 1648 में पूरा हुआ था। इसे पूरा होने में लगभग 17 साल लग गए। दावेदार ने दावा किया कि मुमताज महल का मकबरा 1638 तक लगभग पूरा हो गया था। तो, यह तथ्य गलत है कि ताज महल को बनाने में 17 साल लगे।
याचिका पर मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ सुनवाई कर सकती है। वादी का दावा है कि इस मामले की जांच कराई जाए तो सही जानकारी मिल जाएगी। याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया कि इतिहास की किताबों में ताज महल के निर्माण की तारीख और इस तथ्य को सही किया जाए कि शाहजहाँ ने ताज महल का निर्माण कराया था।
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