लोक आस्था का महापर्व छठ 17 से हो रहा शुरू, जानिए पूजा का महत्त्व

छठ पूजा को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। सूर्य उपासना का छठ महापर्व 17 नवम्बर से शुरू हो रहा है।

रांची डेस्क: छठ पूजा को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। सूर्य उपासना का छठ महापर्व 17 नवम्बर से शुरू हो रहा है। लोक आस्था का महापर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। नहाए खाए के साथ चार दिवसीय छठ पूजा 17 तारीख से शुरू हो रहा है।

बाज़ारों में बढ़ रही भीड़

इससे पहले बाजारों में भारी भीड़ देखी जा रही है लोग कपड़े फल और पूजा के अन्य सामान की खरीदारी जमकर कर रहे हैं। बाजार गुलजार होने पर दुकानदारों के चेहरे पर एक अलग ही रौनक देखी जा रही है।

भावना ,उम्मीदों और खुशियों से जुड़ा है छठ

छठ बिहार और पूर्वांचल का महापर्व है लेकिन छठ पूजा अब भारत के कई हिस्सों में भी मनाया जानें लगा है। बिहारवासियों के लिए छठ सिर्फ एक त्यौहार नहीं है बल्कि यह एक लोगों की भावना ,उम्मीदों और खुशियों से जुड़ा है।

36 घंटे का निर्जला व्रत

वैसे तो छठ महापर्व 19 नवम्बर को मनाया जाएगा, लेकिन इससे जुड़ी तमाम पूजा व परंपरा दो दिन पहले यानी 17 नवम्बर को ही नहाय-खाय के साथ प्रारंभ होगी। जबकि व्रत का समापन 20 नवम्बर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। चार दिन तक चलने वाले छठ पर्व पर छठी मैय्या और सूर्यदेव की पूजा होती है। मुख्य पूजा 19 नवम्बर को होगी। कार्तिक माह के चतुर्थी तिथि यानी पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए माताएं पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखेंगी।

क्या है नहाय-खाय

नहाय-खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है। इस बार नहाय-खाय 17 नवम्बर को है। छठ पूजा की नहाय खाय परंपरा में व्रती नदी में स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन व्रत का संकल्प लेकर सात्विक भोजन जैसे चने की दाल, लौकी की सब्जी, भात (चावल) खाया जाता है। भोजन में सेंधा नमक का ही उपयोग होता है। इस दिन व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।

खरना महा प्रसाद

खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। इस वर्ष खरना 18 नवम्बर को है। खरना के दिन व्रती एक समय मीठा भोजन करते हैं। इस दिन गुड़ से बनी चावल की खीर खाई जाती है। इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है। इस प्रसाद को खाने के बाद व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन नमक नहीं खाया जाता है।

संध्या अर्घ्य

छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है। इस दिन व्रती घाट पर आकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस वर्ष छठ पूजा का संध्या अर्ध्य 19 नवम्बर को दिया जाएगा। छठ पूजा का तीसरा दिन बहुत खास होता है। इस दिन टोकरी में फल, ठेकुआ, बावल के लड्डु आदि अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है। इसके बाद नदी या तालाब में कमर तक पानी में रहकर अर्घ्य दिया जाता है।

उगते भगवान सूर्य को अर्घ्य

चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन उगते भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण का होता है। इस वर्ष 20 नवम्बर को उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा। इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है। माना जाता है कि छठ पूजा में मन-तन की शुद्धता बहुत जरूरी है। अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं।

बताते चलें की जगह-जगह पर छठ घाट तैयार हो गया है और त्योहार को देखते हुए पुलिस और प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए गए।

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