आषाढ़ मास प्रारम्भ : जानिए इस मास के शुभ व अशुभ कार्य के बारे में !

इस एकादशी के बाद भगवान विष्णु गहरी नींद में चले जाते है, मान्यता अनुसार आषाढ़ मास में पूजा करना फलदायी होता है।

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार जेठ के बाद आषाढ़ ( Ashadh month ) का महीना आता है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार वर्ष का चौथा महीना है। इस महीने में शिव और विष्णु की पूजा करना बहुत शुभ होता है। इसी महीने बरसात का मौसम भी शुरू हो जाता है। हिंदू धर्म में इस महीने का बहुत महत्व माना जाता है। इस महीने का धार्मिक महत्व भी है।

भगवान विष्णु गहरी नींद में चले जाते हैं

आपको बता दें कि देवशयनी एकादशी आषाढ़ में ही आती है। इस एकादशी के बाद भगवान विष्णु गहरी नींद में चले जाते हैं। मान्यता अनुसार आषाढ़ मास में पूजा करना फलदायी होता है। लेकिन कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है। आइए आपको बताते हैं आषाढ़ महीने से जुड़ी कुछ शुभ और अशुभ बातें :

ये शुभ कार्य करना होता है वर्जित

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु चार माह की निंद्रा में चले जाते हैं। इस तरह से चातुर्मास शुरू होता है। इन दिनों में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि सभी शुभ कार्यक्रमों पर प्रतिबंध होता है। क्योंकि वर्तमान में इन चीजों को करने से अशुभ परिणाम मिलते हैं और जीवन में मुश्किलें बढ़ती हैं। चातुर्मास में विवाह संस्कार, नामकरण, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ आदि सभी मंगल कार्य वर्जित माने गए हैं।

ये कार्य करने का शुभ समय

इन चार महीनों के दौरान किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए। कहा जाता है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह का व्रत शुरू कर सकता है। यह समय व्रत करने वालों को दोगुना फल मिलता है। भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए बिस्तर की बजाय जमीन पर ही सोना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को खुशी मिलती है।

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