कमर तोड़ महंगाई में कैसे हो आम आदमी की जरूरतों की भरपाई ?
सब्सिडी का लालच देकर खाते में पैसो का तो ट्रांसफर होता था पर वो इतना है की एक किलो राशन भी न आ सके
कोरोना की मार से अभी आम आदमी उभर भी नहीं पाया की महंगाई ( Dearness ) की मार ने कमर के साथ उसकी रीढ़ भी तोड़कर रख दी। बीते दो साल में जहाँ लोगों की नौकरी छीनी थी तो इस दौर में जनमानस की ख़ुशी। लेकिन हकीकत में एक आम इंसान अभी भी उसी दौर से एवं उसकी मार से निकल नहीं पाया है।
आग उगलता घरेलु गैस सिलेंडर
भले ही सरकार मुफ्त राशन देने की बात कह रही हो लेकिन सवाल ये है की पकाये किसमें ? जिस तरीके से आम आदमी को पहले सब्सिडी का लालच देकर खाते में पैसो का ट्रांसफर होता था। अब पैसा तो खाते में आता है पर वो इतना है की एक किलो राशन भी न आ सके। एक बार गैस बुक किया नहीं की लगभग एक हजार रुपए आपकी जेब से गए।
पेट्रोल के जलवे डीजल के नखरे
विपक्ष में जब भाजपा सरकार थी तो पेट्रोल और डीजल के दामों को लेकर संसद तक ऐसे प्रदर्शन करती थी की जैसे उसकी सरकार में इनके दाम इतने सामान्य रहेंगे की निम्न वर्ग वाले भी फर्राटा भरेंगे। केंद्र व प्रदेश में लगातार दो बार से काबिज भाजपा सरकार में दाम अब ऐसे हो गए है की आम तो क्या खास भी तेल के दामों से परेशान है। तेल के दाम लगातार दो महीने से सेंचुरी बनाये हुए है।
सब्जियों को लगे पंख
सब्जियां ही एक आम इंसान को अपनी कीमत से नुकसान पहुँचाने लगे तो न खाना ही बेहतर है। आज जो आदमी हफ्ते भर की सब्जी झोले में लेकर जाता और उसका भुगतान पॉकेट में रखे रुपए से करता था। व्ही आम इंसान आज पन्नियों में सब्जी लेकर जाता है और पॉकेट के सारे रुपए देने को मजबूर है। ऐसे में आम इंसान को अपने परिवार का पेट भरना मुश्किल होता जा रहा है।