RSS के पूर्व सह सरकार्यवाह मदन दास जी को निराला सभागार में दी गयी श्रद्धांजलि !

उनके निधन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अवध प्रान्त द्वारा निराला नगर स्थित माधव भवन सभागार में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में  उनकी स्मृतियों के साथ उनके सरल, सहज, जीवन को याद किया गया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक मदन दास देवी का बीते सोमवार को बंगलुरु में निधन हो गया। उनके निधन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अवध प्रान्त द्वारा निराला नगर स्थित माधव भवन सभागार में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में  उनकी स्मृतियों के साथ उनके सरल, सहज, जीवन को याद किया गया।

श्रद्धांजलि सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी ने कहा कि, मदनदास जी का पारदर्शी व्यक्तित्व था। मदनदास जी की विशेषता थी जहांँ जो कहना चाहिए वह कहते थे ,जहाँ रोकना चाहिए वहाँ रोकते थे और जहाँ प्रतिकार करना चाहिए वहाँ प्रतिकार भी करते थे । व्यक्तियों को समझने की अद्भुत क्षमता भी मदन दास जी में थी। कार्यकर्ताओं को पर्याप्त समय देना मदनदास जी की विशेषता थी। किसी को उसके दुर्गुणों के आधार पर अलग कर देना ठीक नहीं मानते थे तथा उसका मानसिक विकास करते थे देश में हजारों कार्यकर्ता मदन जी को अपना मानते थे।

फिसलने से पहले बचाने वालों में से थे मदनदास जी

यह बड़े मन व अपनेपन के साथ जीवन जीने के कारण ही संभव हुआ। यदि कोई कार्यकर्ता गलत करता या बोलता तो उसे ठीक करते किन्तु लचीलापन नहीं अपनाते थे कि चल जाएगा। फिसलन के बाद हाल पूछने वाले बहुत मिलते हैं किंतु मदन दास जी फिसलने से पहले बचाने वाले थे। मदनदास जी के जीवन का प्रसंग याद करते हुए उन्होंने कहा की सामाजिक क्षेत्र में एक सार्थक जीवन जीने के लिए शरीर व मन शुद्ध रखना चाहिए। मदन दास जी सामाजिक जीवन में उच्च मान्यताओं का पालन किया । 1960- 64 के मध्य संगठन के कार्य में आने वाले मदन दास जी ने अपने जीवन को किसी संभ्रम के बिना, सीधे सरल स्पष्ट तरीके से बिना किसी समझौते के जीवन जिया।

श्रद्धांजलि सभा में राष्ट्रधर्म के निदेशक मनोजकांत ने उन्हें स्मरण करते हुए कहा

मदनदास जी की श्रद्धांजलि सभा में राष्ट्रधर्म के निदेशक मनोजकांत ने उन्हें स्मरण करते हुए कहा कि, 1989 में कानपुर के राजस्थान भवन के अभ्यास वर्ग में उनके साथ रहने का मौका मिला। उनका जीवन जितना औपचारिक था उतना अनौपचारिक भी था। वह छोटे-छोटे समूहों में कार्यकर्ताओं से वार्ता करते थे व गीत का अभ्यास कराते। मनोजकांत ने कहा कि, मैं ऋषि परंपरा के जिन प्रचारकों को जानता था उनमें से वे एक थे । वे संगठन में सामूहिक निर्णय की प्रक्रिया का पालन करते थे । मदनदास जी मानकों पर चर्चा करते थे जिस पद्धति के अनुसार सामूहिक निर्णय होने चाहिए । वह हमेशा इस बात पर बल देते थे कि हमे वही कार्य करना चहिये जिसमें हमें आनन्द आता हो। सामान्य बैठक भी आनन्दमय वातावरण बनाए रखने में उनका विश्वास था।

भारतीय जनता पार्टी प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल ने कहा कि, मदन दास देवी के सानिध्य से अपार ऊर्जा मिलती थी। वह कार्यकर्ताओं के निरन्तर विकास की चिंता करते थे। वह असंख्य कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्रोत बने रहेंगे।
श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. राजशरण शाही ने कहा कि मदन दास जी संगठन के शिल्पी थे। वह विद्यार्थी परिषद के 1970-1992 तक राष्ट्रीय संगठन मंत्री के दायित्व का निर्वहन किये। उनका कार्यकर्ताओं से आत्मीय लगाव था। वह लाखों कार्यकर्ताओं के प्रेरणापुंज हैं।

बड़ी संख्या में  श्रद्धांजलि सभा में  उपस्थित रहे कार्यकर्त्ता

महामंडलेश्वर यतीन्द्रानंद महाराज ने कहा कि संघ के विविध क्षेत्रों में रहकर जो प्रचारक कार्य करते हैं, उनका जीवन बड़ी कठिनाइयों से बीतता है, लेकिन कभी व्यक्त नहीं करते हैं, उसमें से एक आदर्श जीवन मदनदास जी का था।
श्रद्धांजलि सभा में अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वान्त रंजन जी ,विद्यार्थी परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. राजशरण शाही, क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रांत प्रचारक कौशल, भाजपा के संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह, इतिहास संकलन योजना सह संगठन मंत्री संजय, उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक , कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह , मन्त्री सतीश शर्मा , पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ,सह क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख मनोज, प्रान्त सम्पर्क प्रमुख गंगा सिंह, डा. उमेश प्रमुख विश्व संवाद केन्द्र, सहित आदि बड़ी संख्या में कार्यकर्त्ता उपस्थित रहे।

 

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