#Health Tips: बरसात के मौसम में बढ़ रही फूड पॉइजनिंग की समस्या !

फूड पाइजनिंग पेट से संबंधित एक संक्रमण है, जो कि स्टैफिलोकोकस नामक बैक्टीरिया, वायरस या अन्य जीवाणुओं के चलते हो सकता है।

फूड पाइजनिंग (Food Poisoning) पेट से संबंधित एक संक्रमण है, जो कि स्टैफिलोकोकस नामक बैक्टीरिया (Bacteria Called Staphylococcus), वायरस या अन्य जीवाणुओं के चलते हो सकता है। यह बैक्टीरिया, वायरस या अन्य जीवाणु हमारे खाने के साथ पेट में चले जाते हैं। जिसकी वजह से फूड पाइजनिंग जैसी गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है। खाने के अलावा गंदा पानी पीने, ज्यादा पानी पीने से या कोई अन्य ड्रिंक लेने की वजह से भी फूड पाइजनिंग की समस्या हो जाती है, जिसकी वजह लगातार उल्टियाँ आने जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है।

फूड पॉइजनिंग का बढ़ा खतरा

बरसात के मौसम में फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है।  फूड प्वाइजनिंग की समस्या (Food Poisoning Problem) किसी भी मौसम में हो सकती है। लेकिन इसका जोखिम बरसात में ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में खाने वाली चीजों से होने वाली बीमारी को आमतौर पर फूड पॉइजनिंग की कैटेगरी में रखा गया है। बता दें कि ये समस्या तब होती है जब आप दूषित, खराब या विषाक्त खाना (Food Poisoning) खाते हैं। इसके आम लक्षणों में मतली, उल्टी और दस्त शामिल हैं।

डॉ शालिनी के अनुसार, आहार विशेषज्ञ, कोलंबिया एशिया अस्पताल, गुड़गांव के अनुसार बारिश के मौसम के दौरान हवा में नमी बहुत ज्यादा हो जाती है। ऐसे में इस मौसम में रोगाणु भी बहुत बढ़ जाते हैं। विशेष रूप से ऐसी स्थितियों में फंगी (fungi) के कई गुणा बढ़ने की संभावना रहती है। जिससे ये भोजन को जल्दी खराब हो जाता है।

फूड पॉइजनिंग के क्या हैं लक्षण

फूड पॉइजनिंग का पहला और मुख्य लक्षण है पेट दर्द, जी मिचलाना और माथे पर बहुत अधिक पसीना आना, इसमें ये तीनों लक्षण एक ही साथ नजर आते हैं। बता दें कि इसमें लूज मोशन और उल्टी की समस्या शुरू भी शुरू होने लगती है। ऐसे में फूड पॉइजनिंग होने पर ज्यादातर लोग इसके और फ्लू के लक्षणों में कंफ्यूज हो जाते हैं।

बता दें कि इसमें रोगाणु बैक्टीरिया, वायरस या पैरासाइट(Bacteria, Virus or Parasite) किसी भी रूप में हो सकते हैं। जो खाने में टॉक्सिन उत्पन्न कर देते है। यही वह टॉक्सिन होता है जो सभी समस्याओं का कारण होता है।

फूड पॉइजनिंग के क्या है उपाय

  • नींबू का सेवन करें- नींबू में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण मौजूद होते हैं।
  • सेब के सिरके का सेवन करें- सेब के सिरके में मेटाबालिज्म रेट को बढ़ाने वाले तत्व पाये जाते हैं।
  • तुलसी का सेवन करें- तुलसी में मौजूद रोगाणुरोधी गुण सूक्ष्म जीवों से लड़ते हैं।

 

 

 

 

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