याददाश्त और एकाग्रता में सुधार के लिए 5 योगासन!
योग उम्र, लिंग और फिटनेस के स्तर की परवाह किए बिना सभी के लिए सुलभ है और इसे युवाओं और जीवन शक्ति के लिए अमृत माना जा सकता है
योग (yoga) उम्र, लिंग और फिटनेस के स्तर की परवाह किए बिना सभी के लिए सुलभ है और इसे युवाओं और जीवन शक्ति के लिए अमृतमाना जा सकता है क्योंकि यह प्राचीन विज्ञान एक गतिशील प्रक्रिया है। जो मस्तिष्क के कार्यों को बढ़ावा देती है। इसके साथ ही योगहमें असंख्य शारीरिक लाभ भी प्रदान करता है क्योंकि योग आसन, प्राणायाम और ध्यान के अभ्यास से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, अंतःस्रावीतंत्र, संचार प्रणाली, श्वसन, हृदय और पाचन तंत्र आदि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
1. वृक्षासन – वृक्ष मुद्रा
विधि : समस्तीति से प्रारंभ करें। सीधे खड़े हो जाएं और अपने पैरों को आपस में मिला लें। दाहिने पैर को मोड़ें और पैर को बाएं पैर कीभीतरी जांघ पर रखें। दायां घुटना बाएं पैर के लंबवत है। श्वास लें और अपनी हथेलियों को अपनी छाती के सामने नमस्कार मुद्रा में एकसाथ लाएं। अपनी रीढ़ को सीधा रखें।
2. पश्चिमोत्तानासन – बैठे हुए आगे की ओर झुकना
विधि: दंडासन से शुरुआत करें। अपने घुटनों को थोड़ा मोड़ कर रखें। अपनी बाहों को ऊपर उठाएं और अपनी रीढ़ को सीधा रखें। साँसछोड़ें और अपने पेट की हवा को खाली करें। साँस छोड़ते हुए कूल्हे पर आगे झुकें और अपने ऊपरी शरीर को अपने निचले शरीर पररखें। अपनी बाहों को नीचे करें और अपने बड़े पैर की उंगलियों को अपनी उंगलियों से पकड़ें। अपने घुटनों को अपनी नाक से छूने कीकोशिश करें। आसन को कुछ देर रुकें।
3. बकासन – क्रेन पोज
विधि: समस्तीथी से शुरू करें। अपनी हथेलियों को अपने पैरों से थोड़ा आगे लेकिन उनसे दूर रखें। अपनी उँगलियों को फैलाकर आगे कीओर करें। अपनी कोहनियों को थोड़ा मोड़ें और अपने घुटनों को अपनी कांख के ठीक नीचे रखें। इस तरह आगे झुकें कि आपके शरीरका सारा भार आपकी बाहों पर आ जाए। संतुलन बनाएं और धीरे–धीरे अपने दोनों पैरों को जमीन से ऊपर उठाएं। अपने पैरों को एकसाथ लाओ। अपनी बाहों को जितना हो सके सीधा करें। एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें और इस आसन को कुछ देर तक रोक कर रखें।
4. सर्वांगासन – शोल्डर स्टैंड पोज
विधि: पीठ के बल लेटकर शुरुआत करें। अपनी बाहों को अपने शरीर के बगल में रखें। धीरे–धीरे अपने पैरों को फर्श से उठाएं और उन्हेंफर्श पर लंबवत रखें और पैरों को आकाश की ओर रखें। धीरे–धीरे अपने श्रोणि को ऊपर उठाएं और फर्श से पीछे हटें। अपने अग्र–भुजाओं को फर्श से उठाएं और समर्थन के लिए अपनी हथेलियों को अपनी पीठ पर रखें। अपने कंधे, धड़, श्रोणि, पैरों और पैरों के बीचएक सीधी रेखा प्राप्त करें। अपनी दृष्टि को अपने पैरों की ओर केंद्रित करें।
5. शीर्षासन – शीर्षासन मुद्रा
विधि: अपने घुटनों पर शुरू करें। अपनी कोहनियों को जमीन पर रखें। अपनी आपस में जुड़ी हथेलियों और कोहनियों के साथ एकसमबाहु त्रिभुज बनाएं। अपने सिर के मुकुट को अपनी हथेलियों के सामने फर्श पर रखें। आपकी हथेलियों को आपके सिर के पिछलेहिस्से को सहारा देना चाहिए। अपने पैर की उंगलियों पर अपने सिर की ओर तब तक चलें जब तक कि आपकी पीठ सीधी न हो जाए।सबसे पहले अपने दाहिने पैर को ऊपर उठाएं और इसे अपने ऊपरी शरीर के साथ संरेखित करें। अपनी मूल शक्ति, संतुलन का प्रयोगकरें और अपने बाएं पैर को ऊपर उठाएं। अपने पैरों से जुड़ें और अपने पैर की उंगलियों को इंगित करें।