‘Demonetisation’: सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी के खिलाफ 12 अक्टूबर को होगी सुनवाई, जानें क्या है पूरा माजरा !
'नोटबंदी' (Demonetisation) के खिलाफ याचिकाओं (Petitions) की सुनवाई को लेकर 'सुप्रीम कोर्ट' (Supreme Court) ने अपनी एक तारीख निर्धारित कर दिया है।
‘नोटबंदी’ (Demonetisation) के खिलाफ याचिकाओं (Petitions) की सुनवाई को लेकर ‘सुप्रीम कोर्ट’ (Supreme Court) ने अपनी एक तारीख निर्धारित कर दिया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जल्द ही सुनवाई करने वाला है। जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में 12 अक्तूबर (October) को नोटबंदी मामले पर सुनवाई की तारीख को निर्धारित किया गया है।
‘नोटबंदी मामले’ पर होगी सुनवाई
आपको बता दें कि नोटबंदी मामले पर जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएश बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ मामले की सुनवाई की जायेगी। सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की एक और संविधान पीठ का गठन किया गया है। इस गठन में पांच महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई होगी।
‘हलफनामा’ किया दायर
चीफ जस्टिस ने कहना है कि, इस नोटबंदी की योजना के पीछे सरकार की जो मंशा है, वह तारीफ के काबिल है। ऐसे में हम आर्थिक नीति में दखल नहीं देना चाहते हैं। हालांकि लोगों को हो रही असुविधा की चिंता है। इस सिलसिले में सरकार से इस मसले पर एक हलफनामा दायर करने को कहा गया था।
मुख्य विवरण
- 2016 की नोटबंदी के समय केंद्र सरकार को काला धन बाहर लाने की बहुत उम्मीदें जताई गई थीं।
- इस मामले में भ्रष्टाचारियों के घरों के गद्दों-तकियों में भरकर रखा कम से कम 3-4 लाख करोड़ रुपए का काला धन बाहर आ जाएगा।
- इस कवायद में काला धन तो 1.3 लाख करोड़ ही बाहर आया था।
- नोटबंदी के समय जारी नए 500 और 2000 के नोटों में अभी तक 9.21 लाख करोड़ जरूर गायब होते हुए नजर आ रहे हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु
- 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने के भारत सरकार के निर्णय के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं।
- एक याचिका विवेक नारायण शर्मा ने दायर की है।
- इस याचिका में 8 नवंबर 2016 की अधिसूचना को चुनौती दी गई है।
- 8 नवंबर 2016 की अधिसूचना भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 26 (2) और धारा 7,17,23,24,29 और 42 के अधिकारहीन है।
- क्या अधिसूचना संविधान के के प्रावधान अनुच्छेद 300 (A) का उल्लंघन करती है।
- 15 नवंबर 2016 में उस समय के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने मोदी सरकार के इस फैसले की तारीफ की थी।
- 16 दिसंबर 2016 को ही ये केस संविधान पीठ को सौंपा गया था।
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