CAA को लेकर बोले अमित शाह ने बताई ‘मुसलमानों के अधिकार की बात !
CAA लागू करने के कुछ दिनों बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तमाम विपक्षी नेताओं के बयानों का भी जवाब दिया है |
मोदी सरकार की तरफ से नागरिकता संशोधन अधिनियम CAA लागू करने के कुछ दिनों बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसपर अपनी बात रखी है। इसके साथ ही उन्होंने तमाम विपक्षी नेताओं के बयानों का भी जवाब दिया है ,उनका साफ कहना है कि कानून कभी वापस नहीं लिया जाएगा, उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेतृत्व वाला केंद्र इसके साथ कभी समझौता नहीं करेगा। मुसलमानों को भी नागरिकता के लिए आवेदन करने का अधिकार है ,किसी के लिए दरवाजे बंद नहीं किए गए हैं।
मुसलमानों को भी नागरिकता के लिए आवेदन करने का अधिकार
अमित शाह ने कहा, ‘यहां तक कि मुसलमानों को भी नागरिकता के लिए आवेदन करने का अधिकार है, किसी के लिए दरवाजे बंद नहीं किए गए हैं। यह विशेष अधिनियम इसलिए बनाया गया है क्योंकि लोग बिना किसी दस्तावेज के आए हैं। हम उन लोगों के लिए रास्ता खोजेंगे जो ऐसा करते हैं ,दस्तावेज़ नहीं हैं, लेकिन जिनके पास दस्तावेज़ हैं वे 85% से ज्यादा हैं ,कोई समय सीमा नहीं है। ‘
दस्तावेज़ के ऑडिट के लिए आपको बुलाया जाएगा
उन्होंने बातचीत में कहा कि आवेदन करने के लिए समय लग सकता है, भारत सरकार आपके पास उपलब्ध समय के अनुसार आपको साक्षात्कार के लिए बुलाएगी। दस्तावेज़ के ऑडिट के लिए आपको बुलाया जाएगा और आमने-सामने साक्षात्कार किया जाएगा ,उन सभी लोगों का यहां स्वागत है, जो 15 अगस्त 1947 से 31 दिसंबर 2014 के बीच भारत में आए हैं।
यह कानून अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है
उन्होंने उस निंदा को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि नागरिकता कानून ‘असंवैधानिक’ है और यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करता है ,उन्होंने कहा कि जो लोग आलोचना करते हैं, वे हमेशा अनुच्छेद 14 के बारे में बात करते हैं, लेकिन वे इसमें शामिल दो खंडों को भूल जाते हैं। यह कानून अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है। यहां एक स्पष्ट, उचित, वर्गीकरण है, यह उन लोगों के लिए एक कानून है जो विभाजन के कारण अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में रह गए और धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे थे और उन्होंने भारत आने का फैसला किया।
इन चार तरीकों से नागरिकता मिल सकती है
जन्म के आधार पर नागरिकता
जो व्यक्ति 26.1.1950 को या उसके बाद लेकिन नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2003 के लागू होने से पहले भारत में पैदा हुआ है और जिसके माता-पिता में से कोई भी एक भारत का नागरिक है, वो जन्म से भारत का नागरिक होगा। हालांकि, इसमें एक नियम यह है कि उसके माता या पिता में से कोई भी एक अवैध प्रवासी नहीं होना चाहिए।
वंश के आधार पर नागरिकता
ऐसे व्यक्ति को भी नागरिकता मिल सकती है जो भारत के बाहर पैदा हुआ। इसमें शर्त यह है कि उस व्यक्ति के माता-पिता दोनों या उनमें से कोई एक भारतीय नागरिक हो और अवैध प्रवासी न हो, साथ ही उस व्यक्ति के जन्म को विदेश में भारतीय मिशन/पोस्ट में पंजीकृत कराना अनिवार्य है। अगर माता-पिता बच्चे के जन्म के एक साल बाद उसका रजिस्ट्रेशन कराते हैं तो ऐसे मामले में भारतीय गृह मंत्रालय की अनुमति आवश्यक होती है।
रजिस्ट्रेशन के आधार पर
गृह मंत्रालय के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति अवैध प्रवासी नहीं है और यदि वह इनमें से किसी भी श्रेणी में आता है तो उसे नागरिकता दी जा सकती है।
नेचुरलाइजेशन द्वारा नागरिकता
व्यक्ति सिटीजनशिप एक्ट के तीसरे शेड्यूल के प्रावधानों के तहत नेचुरलाइजेशन द्वारा नागरिकता के लिए गृह मंत्रालय में आवेदन कर सकता है, नेचुरलाइजेशन के लिए व्यक्ति को कुछ योग्यताओं को पूरा करना होता है।
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