पकड़ौआ ब्याह पर पटना हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, जबरन मांग भरना शाद्दी नहीं
बिहार में आपने कई बार सुना होगा और देखा भी होगा पकड़ौआ ब्याह। जी हाँ जहां बन्दुक की नोक पर जबरदस्ती शाद्दी करवाई जाती है।
पटना : बिहार में आपने कई बार सुना होगा और देखा भी होगा पकड़ौआ ब्याह। जी हाँ जहां बन्दुक की नोक पर जबरदस्ती शाद्दी करवाई जाती है। कहा जाता है शाद्दी दो लोगों के बीच आपसी प्रेम और सहमति से होती है।जबरन मांग में सिंदूर भर देना शाद्दी नहीं कहलाती है।
पटना HC ने पकड़ौआ शादी को अमान्य बताया
इन दिनों बिहार में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। बताते चले कि पटना हाईकोर्ट ने पकड़ौआ शादी को अमान्य बताया है। कहा है कि जबरदस्ती की गई शादी मान्य नहीं होगी। बंदूक की नोंक पर मांग भरना शादी नहीं कहलाएगी। महिला की मांग में जबरन सिंदूर लगाना हिन्दू कानून के तहत शादी नहीं है। जब तक दूल्हा और दुल्हन पवित्र अग्नि के चारों फेरे नहीं ले या दोनों के बीच सहमति न हो, तब तक शादी वैध नहीं मानी जाएगी।
10 साल पहले की सुनवाई
पटना हाई कोर्ट में 10 साल पहले की गई जबरन शाद्दी पर सुनवाई की गई। बताते चलें कि पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण कुमार झा और जस्टिस पीबी बजंथ्री ने दस साल पहले हुए पकड़ौआ शादी के केस में सुनवाई की। कोर्ट ने पकड़ौआ शादी को अमान्य बताया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सबूत और गवाह के आधार पर पकड़ौआ विवाद को अमान्य कर दिया।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, नवादा निवासी रविकांत की शादी 30 जून 2013 को जबरन कर दी गई थी। वह अपने चाचा के साथ मंदिर गए थे, इसी दौरान उन्हें अगवा किया गया है। इसके बाद बंदूक के बल पर जबरन लड़की की मांग भरवाई गई। इसके बाद रविकांत ने लखीसराय के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में केस दायर किया। रविकांत ने पकड़ौआ को रद्द करने के लिए फैमिली कोर्ट भी गए थे। लेकिन, 27 जनवरी, 2020 को कोर्ट ने इनकी याचिका खारिज कर दी थी। रविकांत हार नहीं मानें और वह पटना हाईकोर्ट न्याय मांगने पहुंच गए।
दरसल आपको बता दें की हाईकोर्ट ने कथित विवाह को अमान्य बताया है। इस केस में जब दोनों पक्षों की बातें सुनी गई तो कोई गवाह नहीं था। न ही दुल्हन और दुल्हे को अपने साथ फेरे याद थे न ही पुजारी को शाद्दी से सम्बंधित कोई बाते याद थी ।