Maharashrta Politics: संविधान पीठ सुनाएगी शिवसेना पर फैसला, 25 अगस्त को होगी अगली सुनवाई !
शिवसेना पर अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को फिर सुनवाई की गयी। CJI एनवी रमना, जस्टिस कृष्णा मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली ने शिंदे बनाम उद्धव की शिवसेना केस को संविधान पीठ को भेज दिया है।
शिवसेना पर अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को फिर सुनवाई की गयी। CJI एनवी रमना, जस्टिस कृष्णा मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली ने शिंदे बनाम उद्धव की शिवसेना केस को संविधान पीठ को भेज दिया है। तीन जजों की बेंच ने 8 सवाल तैयार किए हैं, जिसके आधार पर संविधान पीठ फैसला करेगी कि शिवसेना किसकी है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पार्टी सिंबल विवाद पर गुरुवार तक फैसला ना लेने को कहा है। इस मामले पर पांच जजों की बेंच 25 अगस्त को सुनवाई करेगी।
सीएम शिंदे ने अयोग्यता के गलत आरोप की कही थी बात !
पिछली सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का कहना था कि हमारे ऊपर अयोग्यता का गलत आरोप लगाया गया है। हम अभी भी शिवसैनिक हैं। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि शिंदे गुट में जाने वाले विधायक संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता से तभी बच सकते हैं, जब वो अलग हुए गुट का किसी अन्य पार्टी में विलय कर देते हैं। उन्होंने कहा था कि उनके बचाव का और कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
शिंदे के पास था 35 विधायकों का समर्थन !
20 जून को शिवसेना के 15 विधायक 10 निर्दलीय विधायकों के साथ पहले सूरत और फिर गुवाहाटी के लिए रवाना हुए। शिंदे ने दावा किया कि उनके पास शिवसेना के 35 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इसके बाद डिप्टी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों को सदस्यता रद्द करने का नोटिस दिया। जिसके बाद बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना, केंद्र, महाराष्ट्र पुलिस और डिप्टी स्पीकर को नोटिस भेजा। फिर बागी विधायकों को कोर्ट से राहत मिली।
30 जून को शिंदे बने थे मुख्यमंत्री !
देवेंद्र फडणवीस की मांग पर राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कहा। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, फिर उद्धव ठाकरे ने अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 30 जून को एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वहीं, भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
तीन बार टली मामले की सुनवाई !
3 जुलाई को विधानसभा के नए स्पीकर ने शिंदे गुट को सदन में मान्यता दी। अगले ही दिन शिंदे ने विश्वास मत हासिल कर लिया। SC ने कहा कि जब तक ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तब तक चुनाव आयोग कोई फैसला न ले। इस के बाद मामले की सुनवाई तीन बार टली और कोर्ट ने कोई फैसला नहीं सुनाया।
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