अगर मणिपुर की हिंसा का नहीं हुआ अंत,तो हो सकता है बड़ा धमाका !
22 और 23 जुलाई को म्यांमार के 700 से ज्यादा नागरिक घुसपैठी कर मणिपुर आ गए, जिसको लेकर राज्य सरकार की तरफ से राइफल्स से जानकारी मांगी गई है। सरकार का राइफल्स से ये कहना है कि बिना सही दस्तावेजों के इन नागरिकों ने राज्य में कैसे एंट्री मारी और कैसे इन्हें यहां आने के लिए प्रवेश करने दिया।
मणिपुर में घटी घटना से हर कोई प्रभावित है और साथ ही मणिपुर के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री मोदी को लेकर इस मुद्दे पर तीखी बहस बाजी हो रही है। जहा मणिपुर में महिला को निर्वस्त्र अवस्था में घुमाया गया इसे लेकर हड़कंप मचा हुआ है तो वही अब वहा पर प्रदर्शन भी खूब तेज हो गया है और साथ ही ये भी देखा जा रहा है की लोग मांग कर रहे है न्याय की। इस बीच मणिपुर में एक और मामला सामने आया है। एक दूसरी चिंता ने राज्य की टेंशन बढ़ा दी है। 22 और 23 जुलाई को म्यांमार के 700 से ज्यादा नागरिक घुसपैठी कर मणिपुर आ गए, जिसको लेकर राज्य सरकार की तरफ से राइफल्स से जानकारी मांगी गई है।
मणिपुर में एक और मामला आया सामने
गृह विभाग के एक बयान के मुताबिक, मणिपुर सरकार ने असम राइफल्स से एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है कि कैसे केवल दो दिन 22 और 23 जुलाई को कम से कम 718 म्यांमार नागरिकों को बिना सही डॉक्यूमेंट्स के भारत में प्रवेश करने की अनुमति दी गई। दरअसल, असम राइफल्स सीमा पर सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होती है, जिसकी वजह से ही राज्य सरकार ने राइफल्स से जवाब मांगा है। मणिपुर सरकार को इस बात की भी टेंशन है कि क्या भारत पहुंचे म्यांमार नागरिक अपने साथ गोला हथियार बारूद लाए हैं क्योंकि राज्य में इस वक्त हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं।
जानिए क्या है मामला
मामले को लेकर असम राइफल्स के सेक्टर-28 की तरफ से जानकारी दी गई थी कि 718 म्यांमार शरणार्थी सीमा पार करते हुए चंदेल के रास्ते मणिपुर में प्रवेश कर गए हैं। इस पूरी घटना को लेकर मणिपुर सरकार का कहना है कि असम राइफल्स के अधिकारियों से मामले में एक रिपोर्ट मांगी गई है और इसके साथ ही म्यांमार के इन नागरिकों को वापस भेजने की सलाह दी गई है। इतना ही सरकार को इस बात की चिंता भी है कि मणिपुर में 2 महीने से ज्यादा समय से चल रही हिंसा के बीच म्यांमार से घुसपैठी कर आए ये नागरिक कहीं अपने साथ गोला-बारूद और हथियार तो लेकर नहीं आए हैं।
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