पूर्व क्रिकेटर एस. श्रीसंत पर ठगी का आरोप ,केरल में केस दर्ज !
पूर्व भारतीय क्रिकेटर एस श्रीसंत और और दो अन्य के खिलाफ गुरुवार को केरल पुलिस ने धोखाधडी और ठगी के आरोप को लेकर मामला दर्ज किया है।
क्रिकेटर एस श्रीसंत और दो अन्य लोगों पर केरल पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। इनके खिलाफ नॉर्थ केरल डिस्ट्रिक्ट से एक शख्स ने 18 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है।शिकायतकर्ता सरीश गोपालन के मुताबिक, श्रीसंत और उनके साथियों ने कर्नाटक में स्पोर्ट्स एकेडमी बनाने के नाम पर 25 अप्रैल 2019 के बाद से कई मौकों पर उससे ये पैसा लिया था। श्रीसंत और अन्य दोनों आरोपियों के ऊपर IPC के सेक्शन 420 के तहत केस दर्ज हुआ है।
केरल पुलिस ने लगाया धोखाधडी और ठगी का आरोप
पूर्व भारतीय क्रिकेटर एस श्रीसंत और और दो अन्य के खिलाफ गुरुवार को केरल पुलिस ने धोखाधडी और ठगी के आरोप को लेकर मामला दर्ज किया है। केरल के चूंडा के रहने वाले शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि राजीव कुमार और वेंकटेश किनी ने 25 अप्रैल, 2019 से अलग-अलग तारीखों पर उनसे कुल 18.70 लाख रुपए लिए। इन लोगो ने दावा किया कि वे कर्नाटक के कोल्लूर में एक खेल अकादमी बनाएंगे। राजीव और वेंकटेश की कंपनी में श्रीसंत की हिस्सेदारी है।
IPC की धारा 420 लगी
शिकायतकर्ता सरीश गोपालन ने कहा कि अकादमी में भागीदार बनने का मौका और लालच दे कर उनसे निवेश कराया गया। श्रीसंत और उनके दो अन्य साथियों पर IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
दो बार वर्ल्ड कप विजेता टीम के सदस्य रहे श्रीसंत
श्रीसंत टी-20 वर्ल्ड कप 2007 और वनडे वर्ल्ड कप 2011 की विजेता भारतीय टीम के सदस्य रहे हैं। श्रीसंत ने भारत के लिए 27 टेस्ट, 53 वनडे और 10 टी-20 खेले हैं। IPL के 44 मैच में श्रीसंत के नाम 40 विकेट हैं।
मई 2013 में दिल्ली पुलिस ने स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में श्रीसंत और राजस्थान रॉयल्स के दो साथी खिलाड़ियों अजीत चंडिला और अंकित छवन को गिरफ्तार किया था। BCCI ने इसके बाद तीनों खिलाड़ियों को बैन कर दिया था। हालांकि, इन आरोपों के खिलाफ श्रीसंत ने लंबी लड़ाई और साल 2015 में विशेष अदालत ने उन्हें आरोपों से बरी कर दिया था।
BCCI को सजा कम करने को कहा
इसके बाद साल 2018 में केरल हाईकोर्ट ने उन पर लगे अजीवन प्रतिबंध को खत्म किया। लेकिन 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके अपराध को बरकरार रखा लेकिन BCCI को उसकी सजा कम करने को कहा। बाद में बोर्ड ने उनपर लगे आजीवन प्रतिबंध को सात साल तक कम कर दिया था, जो सितंबर 2020 में खत्म हो गया।
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