मुश्किल में शिक्षा : पगडंडियों से गुजरती हुई विद्यालय तक पहुँचती है नैनिहालों की शिक्षा !

आप शिक्षा की गुणवत्ता को छोड़ दीजिये, टीचरों के शिक्षा स्तर को छोड़ दीजिये लेकिन अगर स्कूल तक बच्चे ही नहीं पहुंचेंगे तो क्या पढाई क्या लिखाई

देश चाँद तक रास्ता बना चुका है, देश में लाखों दावें और वादें किये जाते है शिक्षा ( Education ) व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त बनाने के, लेकिन सुल्तानपुर के जयसिंहपुर ब्लॉक का एक ऐसा विद्यालय भी है जहां तक पहुँचने के लिए एक अदद रास्ता तक नहीं है।

आप शिक्षा की गुणवत्ता को छोड़ दीजिये, टीचरों के शिक्षा स्तर को छोड़ दीजिये लेकिन अगर स्कूल तक बच्चे ही नहीं पहुंचेंगे तो क्या पढाई क्या लिखाई। जहां जयसिंहपुर ब्लॉक के उच्च पूर्व माध्यमिक विद्यालय डडवा एक अदद रास्ते को तरस रहा है।

विद्यालय का निर्माण एक दशक पूर्व

बरसात होने पर बच्चो व शिक्षक को पानी के बीच से आना पड़ता है। तेज बारिश होने पर विद्यालय के बन्द होने तक कि नौबत आ जाती है। विद्यालय का निर्माण एक दशक पूर्व हुआ था। क्षेत्र के लोगो व शिक्षकों ने कई बार प्रधान सहित शिक्षा विभाग व राजस्व विभाग के आला अधिकारियों को अवगत कराया।लेकिन नतीजा शून्य रहा।

बच्चो अध्यापको के रास्ते के लिए वे हर प्रकार से तैयार

विद्यालय के सामने स्थित खेतौनी धारक राम चंद्र दूबे से रास्ते की बात की गई | तो उन्होंने बताया कि यहां रास्ते के लिए राजस्व अभिलेख में कोई चकमार्ग स्थित नही है। चकरोड की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि विद्यालय के बच्चो अध्यापको के रास्ते के लिए वे हर प्रकार से तैयार है।

सुधि किसी जिम्मेदार अधिकारी ने नही ली

राम चन्द्र दूबे ने बताया कि वे चकरोड न नाली के निर्माण के लिए मुख्य विकास अधिकारी को शिकायती पत्र दिया था। जिसे मुख्य विकास अधिकारी ने राजस्व विभाग का मामला कह कर टाल दिया था। पुनः राजस्व विभाग को शिकायती पत्र देकर चिन्हांकन कराने की गुजारिश उन्होंने आज के 5 महीने पहले की थी जिसका निस्तारण राजस्व विभाग द्वारा कर दिया गया।लेकिन अभी तक विद्यालय के लिए रास्ता व पानी के निकासी के लिए मौजूद नाली के निर्माण की सुधि किसी जिम्मेदार अधिकारी ने नही ली है।

ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा

आपको बता दे कि एक दशक बीत चुके है,बच्चे आज भी पगडंडियों से व बरसात में घुटने तक के पानी से होकर विद्यालय जाते है।एक बार फिर गर्मी की छुट्टी हो चुकी है। जिसके बाद नवीन सत्र का आगाज होगा और पुनः इस दरमियाँ बच्चो व अध्यापकों के आने का सिलसिला शुरू होगा। क्या इस बार जिम्मेदार अधिकारी संज्ञान लेकर नाली व चकरोड की व्यवस्था करेंगे या बच्चे बरसात के पानी से होकर फिर विद्यालय आएंगे ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।

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