अडानी-हिंडनबर्ग मामले में जांच कमेटी बनाने का फैसला, दो महीने के भीतर रिपोर्ट पेश करने के आदेश !
अडानी-हिंडनबर्ग मामले की सुनवाई गुरुवार (2 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट में हुई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच कमेटी बनाने का फैसला किया है।

अडानी-हिंडनबर्ग मामले की सुनवाई गुरुवार (2 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट में हुई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच कमेटी बनाने का फैसला किया है। मामले की शुरआत की बात करे तो हिंडनबर्ग रिसर्च’ द्वारा अडानी समूह पर कई आरोप लगाए जाने के बाद समूह के शेयरों की कीमतों में भारी गिरावट आई थी। जिसके बाद हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर बाजार में हेराफेरी और अकाउंटिंग फ्रॉड का आरोप लगाया था।
जांच को दो महीने के भीतर पूरा करे: मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़
अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अडानी समूह पर अमेरिकी लघु विक्रेता हिंडनबर्ग पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट से उत्पन्न मुद्दों की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि बाजार नियामक सेबी अपनी चल रही जांच को दो महीने के भीतर पूरा करे और स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे।
सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को यह भी जांच करने का निर्देश दिया कि क्या नियमों का उल्लंघन किया गया था और क्या स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर किया गया था।
कोर्ट ने 17 फरवरी को सुरक्षित रख लिया था अपना फैसला
बता दें जाँच के लिए गठ्ठित समिति में पूर्व न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता वाली समिति में दिग्गज बैंकर केवी कामथ और ओपी भट, इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि, ओपी भट और पूर्व न्यायाधीश जेपी देवधर शामिल होंगे। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और प्रस्तावित विशेषज्ञ पैनल पर केंद्र के सुझाव को सीलबंद लिफाफे में मानने से इनकार कर दिया था।
आपको बताते चले इस मुद्दे पर अब तक शीर्ष अदालत में चार जनहित याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। वकीलों एमएल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और स्वयंभू सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश कुमार ने ये याचिकाएं दाखिल की हैं।
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