#Bada Mangal: गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक यह त्यौहार ज्येष्ठ माह में क्यों मनाते हैं ?

यह त्यौहार लखनऊ की गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक है और कहा जाता है कि इसकी उत्पत्ति लगभग 400 साल पहले मुगल शासन के दौरान हुई थी।

आज इस साल का पहला ज्येष्ठ माह का मंगलवार हैं। इस महीने पड़ने वाले सभी मंगलवार को बड़ा मंगलवार या बड़ा मंगल के रूप में मनाया जाता है। इन दिनों में भगवान हनुमान की पूजा अर्चना श्रद्धालु बड़े धूम धाम से करते हैं। यह त्यौहार राजधानी लखनऊ में अनूठे तरीके से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान हनुमान की पूजा करने से हम बुराई से बचते हैं और धन और समृद्धि होती हैं। यह त्यौहार लखनऊ की गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक है।

बड़ा मंगल क्यों मनाते हैं ?

अब जहन में प्रश्न आता हैं की आखिर इन दिनों में ही क्यों भगवान हनुमान की पूजा अर्चना भक्त इतने धूम धाम से मानते हैं? इसके पीछे ‘बड़ा मंगल’ की एक दिलचस्प कहानी है। जानकारों के अनुसार, लखनऊ में बड़ा मंगल मनाने की परम्परा की शुरुआत 400 साल पहले मुगलशासक नवाब मोहम्मद अली शाह ने की थी। उस समय नवाब के बेटे की तबियत ज्यादा बिगड़ गई थी तभी उनकी बेगम रूबिया ने अपने बेटे का कई जगह इलाज कराया, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।

माँ कि दिल नहीं माना बेटे की सलामती के लिए अलीगंज के हनुमान मंदिर मन्नत मांगी। पुजारी ने बेटे को मंदिर में ही छोड़ देने को कहा। बेगम रात में बेटे को मंदिर में ही छोड़ गई। दूसरे दिन बेगम रूबिया ने अपने बेटे को पूरी तरह स्वस्थ पाया।

सही होने के बाद मुगल शासक ने उस समय ज्येष्ठ (जेठ) महीने में पड़ने वाले मंगल को पूरे शहर में भुने हुए गेहूं में गुड़ मिलाकर बनाया जाने वाला प्रसाद बंटवाया। मंदिर के बाहर प्याऊ भी लगवाए। तभी से इस बड़े मंगल की परम्परा की नींव पड़ी। अवध के अंतिम नवाब नवाब वाजिद अली शाह ने हनुमान भक्तों के लिए सामुदायिक भोज आयोजित करके परंपरा को जारी रखा।

 

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