#’पितृपक्ष में पूर्वज’ हो जाते हैं नाराज, भूल कर भी न करें ये काम !

'हिंदू धर्म' (Hindu Religion) की मान्यता के अनुसार 'पितृपक्ष' (Pitrpaksh) का 'बड़ा ही महत्व' (Great Importance) माना जाता है।

‘हिंदू धर्म’ (Hindu Religion) की मान्यता के अनुसार ‘पितृपक्ष’ (Pitrpaksh) का ‘बड़ा ही महत्व’ (Great Importance) माना जाता है। ऐसे में ‘पितृपक्ष में पूरी श्रद्धा’ (full faith in Pitrpaksh) ) के साथ अपने पितरों को याद किया जाता है। बता दें कि पितरों के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। सबसे बड़ी मान्यता यह है कि, विधि पूर्वक पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति (Peace to his Soul) मिलती है।

आत्मा की शांति के लिए करें श्राद्ध

आपकी जानकारी के लिये बता दें कि, पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान श्राद्ध और तर्पण किये जाते हैं। इससे प्रसन्न होकर पूर्वज अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद (Blessings of happiness and prosperity to the descendants) देते हैं।

सनातन धर्म में पितरों के निमित्त तर्पण का सबसे शुभ अवसर (Most Auspicious Occasion) पितृ पक्ष ही होता है। बता दें कि इस साल पितृ पक्ष 10 सितंबर (September) से शुरु और 25 सितंबर तक है।

पूर्वज कौवे के रूप में आते हैं

ऐसे में पितृ पक्ष के 15 दिन की अवधि में पूर्वजों के निमित्त पिंडदान (Pind Daan for the ancestors)  तर्पण और श्राद्ध कर्म (Shraadh Ceremony) किये जानें की मान्यता है। पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है। कहा गया है, पितृपक्ष में पूर्वज कौवे रूप में धरती पर आते हैं।

भूलकर भी न करें ये काम

आपको बता दें कि, पितृ पक्ष में खीरा, चना, जीरा और सरसों का साग नहीं खाने को मना किया जाता है। ऐसे में पितृपक्ष में किसी भी तरह का मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिये। हिन्दू धर्म में शादी से लेकर सगाई और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य पितृपक्ष में वर्जित हैं। कहा गया है, पितृपक्ष शोकाकुल का माहौल (Sad Atmosphere) माना जाता है।

 

 

 

हैशटैग भारत की हिन्दी वेबसाईटके लिए आप यहां www.hashtagbharatnews.com क्लिक कर सकते हैं । आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button