Mafia Abu Salem: फर्जी पासपोर्ट मामले में अबू सलेम और उसके साथी परवेज को तीन-तीन वर्ष कैद की सजा !

अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी और उसके साथी परवेज आलम को तीन-तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई है।

 राजधानी के पासपोर्ट कार्यालय से डॉन अबू सलेम और उसकी बीवी समीरा जुमानी का फर्जी पासपोर्ट बनवाने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत की न्यायिक मजिस्ट्रेट समृद्धि मिश्रा ने अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी और उसके साथी परवेज आलम को तीन-तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई है। विशेष अदालत ने अबू सलेम पर 10 हजार, परवेज पर 35 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने कहा कि अभियुक्तों को दी गई सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। यदि उन्होंने कोई अवधि जेल में बिताई गई है तो वह अवधि इसमें समायोजित की जाएगी।

सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि वर्ष 1993 में मुंबई बम ब्लास्ट के बाद जांच में पता चला कि अबू सलेम ने पत्नी समीरा जुमानी, आजमगढ़ निवासी परवेज आलम ने अन्य लोगों के साथ साजिश के तहत फर्जी दस्तावेज लगाए। इससे अबू सलेम, समीरा जुबानी के वास्तविक निवास और पहचान को छिपाकर पासपोर्ट बनाया गया, जिससे वह खुद को बचाने के लिए देश से बाहर भाग सके।

दस्तावेजों में अपना और पिता दोनों का नाम फर्जी लिखवाया

अदालत को बताया गया कि परवेज आलम ने 15 जून 1993 को अबू सलेम, समीरा के लिए लखनऊ पासपोर्ट कार्यालय में आवेदन किया। यह आवेदन पत्र परवेज आलम ने खुद भरा, जिसमें अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी और समीरा जुमानी के लिए दूसरे फर्जी नाम अकील अहमद आज़मी, सबीना आज़मी के नाम से फर्जी प्रविष्टि की गई थी। दोनों के पिता का नाम भी फर्जी भरा।

 

सबीना आज़मी के पति का नाम अकील अहमद अंसारी बताया गया और जन्मतिथि 25 अप्रैल 1974 की जगह 17 जुलाई 1971 दर्ज कराई गई। इस धोखाधड़ी की रिपोर्ट सीबीआई की स्पेशल टास्क फोर्स नई दिल्ली ने 16 अक्तूबर 1997 को अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी, अन्य के विरुद्ध दर्ज की गई थी। कोर्ट को यह भी बताया कि आवेदन के साथ लगाए फर्जी प्रपत्रों के सत्यापन के लिए सभी अभियुक्तों ने एक आपराधिक षड्यंत्र के तहत 29 जून 1993 को एसएसपी आजमगढ़ के फर्जी हस्ताक्षर से रिपोर्ट तैयार की गई, जिसे पासपोर्ट ऑफिस की पत्रावली में लगा दिया गया।

इन अपराधों, धाराओं में दंडित किया

मो. परवेज आलम-धारा 471 एवं 120 बी में 3 वर्ष का कारावास, 10 हजार रुपए का जुर्माना, धारा 420 भारतीय दंड संहिता में 3 वर्ष का कारावास, 10 हजार रुपए का जुर्माना, धारा 468 भारतीय दंड संहिता में 3 वर्ष का कारावास एवं 10 हजार रुपए का जुर्माना, इसके अलावा 12 (1)(बी) पासपोर्ट अधिनियम के उल्लंघन के आरोप में 2 वर्ष का साधारण कारावास एवं पांच हजार रुपए जुर्माना सजा सुनाई गई है।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट में हुआ मौजूद

अबू सलेम नवी मुंबई की तलोजा जेल से वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुआ। हालांकि इस मामले में वह अबू सलेम जमानत पर था। परवेज आलम व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित था। परवेज की ओर से अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र पेश कर कहा गया कि उसे अदालत के निर्णय के विरुद्ध सत्र अदालत में अपील दाखिल करनी है। लिहाजा उसे अपील दायर करने की अवधि तक के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया जाए। कोर्ट ने आरोपी परवेज आलम की अर्जी स्वीकार कर उसे 20-20 हजार रुपए की दो जमानतें पेश करने पर अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया है।

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