ऑनलाइन चालान से बचने के लिए ये कैसा ” तरीका ” , पुलिस ने किया पर्दाफाश ! जानिए इस खबर में
शहर की यातायात ( traffic ) को दुरुस्त करने के लिए जगह-जगह आईटीएमएस कैमरे लगाए गए हैं। जिससे ट्रैफिक का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की जा सके। लेकिन ट्रैफिक नियम का उल्लंघन कर चालानी कार्रवाई से बचने के लिए लोगों ने एक नया ही तरीका निकाल रखा है।
लखनऊ में देखने को मिला
जी हां… यह तरीका कुछ यूं है कि… लोग अपनी गाड़ी पर लगे नंबर प्लेट से नंबरों को गायब कर देते हैं। तो कुछ लोग पूरी नंबर प्लेट ही बदल दे रहे हैं। ऐसा ही एक मामला लखनऊ में भी देखने को मिला है। जहां पर एक युवती जिसका नाम अलीशा है, जो ठाकुरगंज के हुसैनाबाद रामगंज इलाके में निवास करती है।
नियम अलीशा तोड़ती रही और चालान विदिशा भर्ती रही
उसके द्वारा कई बार ट्रैफिक उल्लंघन किया गया जिसपर उसका चालान भी हुआ। तो उसने इस चालान से बचने के लिए अपने पड़ोस की रहने वाली विदिशा की गाड़ी का नंबर का स्तेमाल करना शुरू कर दिया। फिर क्या था ट्रैफिक नियम अलीशा तोड़ती रही और चालान विदिशा भर्ती रही।
मामले को गंभीरता से लिया
यह मामला लगभग 1 साल से अधिक चलता रहा। जब चालान भर-भर के विदिशा के पिता की कमर टूट गई तो उन्होंने इस बात की शिकायत पुलिस से की। विदिशा के पिता ने कहा जब उनकी गाड़ी ही नहीं निकलती तो चालान उन तक कैसे पहुंच रहा है। पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया, लेकिन ट्रैफिक पुलिस 1 साल तक उसका कोई भी सुराग नहीं लगा सकी। जबकि गाड़ी का चालान आईटीएमएस कैमरे के द्वारा किया जा रहा था।
नम्बर प्लेट बदलने की कहानी
ऑनलाइन चालान में गाड़ी के साथ उसको चलाने वाले की फ़ोटो भी अपलोड की जाती है। विदिशा के पिता ने थक हार कर आखिरकार ठाकुरगंज थाना में अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कराया। जिसके बाद उन्होंने राहत की सांस ली। इसी बीच पुलिस में ठाकुरगंज के बंधा रोड पर चेकिंग के दौरान यह युवती स्कूटी के साथ धर दबोची गई। पुलिस ने युवती से पूछताछ की तो नम्बर प्लेट बदलने की कहानी सामने आई।
चालान का मैसेज पहुंचता रहा
विदिशा के पिता ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान साल 2020 में उन्होंने उनके पास पहुंच रहे फर्जी चालान को लेकर शिकायत की थी। लेकिन ट्रैफिक पुलिस इसका सुराग तक नहीं लगा पाई, जबकि अधिकारियों ने उनको खूब आश्वासन दिया था कि उनके पास अब चालान नहीं पहुंचेगा, उसके बावजूद भी चालान का मैसेज उन तक पहुंचता रहा।
कोई सफलता नहीं मिली
आखिरकार लखनऊ की पुलिस हाईटेक होने के बावजूद भी फर्जी नंबर प्लेट को लगाकर चलने वाली युवती तक क्यों नहीं पहुंच पाई। जब पिता ने इस बात पर लगातार चक्कर काटना शुरू किया | तो ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों ने इस मामले की जांच के लिए 8 सदस्यीय टीम भी गठन करने की बात कह डाली, उसके बावजूद भी कोई सफलता नहीं मिली।
1 साल से अधिक समय तक खींचा
इस बात से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस कितना इन सभी चीजों के लिए सक्रिय है, क्योंकि अगर पुलिस चाहती तो इस फर्जी नंबर प्लेट का खुलासा 2 दिन में ही कर सकती थी। लेकिन इसको ट्रैफिक पुलिस द्वारा 1 साल से अधिक समय तक खींचा जाता रहा।