Personal Data Protection Bill: सरकार ने वापस लिया डाटा प्रोटेक्शन बिल, लाया जाएगा नया विधेयक !
केंद्र सरकार ने बुधवार को पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल को लोकसभा से वापस ले लिया है।
केंद्र सरकार ने बुधवार को पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल को लोकसभा से वापस ले लिया है। केंद्रीय सूचना और तकनीकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बिल के वापस लिए जाने की जानकारी दी।
संयुक्त समिति ने की बिल की छानबीन !
संसद की संयुक्त समिति ने इस बिल की डिटेल में छानबीन की और 81 संशोधन और 12 सिफारिशों का प्रस्ताव दिया गया। ये सभी प्रस्ताव डिजिटल इकोसिस्टम के लीगल फ्रेमवर्क के लिए दिए गए। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, एक विस्तृत कानूनी फ्रेमवर्क पर काम जारी है। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 को वापस लेने और एक नए विधेयक, जो विस्तृत कानूनी फ्रेमवर्क के अनुरूप हों, को लाए जाने का प्रस्ताव है।
क्या था इस बिल का उद्देश्य ?
केंद्र द्वारा वापस लिए गए इस बिल का उद्देश्य व्यक्तियों को उनेक पर्सनल डेटा की सुरक्षा प्रदान करना, डेटा के उपयोग को निर्दिष्ट करना और डेटा को संसाधित करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के बीच विश्वास का संबंध बनाना था। सरकार ने पिछले साल बिल का मसौदा (Contract) जारी किया था, जिसका कई वैश्विक कंपनियों ने विरोध किया था। कंपनियों का कहना था कि इससे उनका कारोबार प्रभावित होगा और परिचालन व्यय भी बढ़ेगा। विधेयक का मसौदा जस्टिस बी एन श्रीकृष्ण द्वारा जुलाई, 2018 में सौंपी गई एक रिपोर्ट पर आधारित था।
विपक्ष का क्या है आरोप ?
इस बिल के पेश होने के बाद, विपक्षी दलों ने विरोध करना शुरू कर दिया था। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने संसद में इस बिल के खिलाफ सबसे ज्यादा आवाज उठाई थी। इसके बाद बिल को सरकार ने संयुक्त समिति (JPC) के पास भेज दिया। विपक्ष का आरोप था कि डेटा गोपनीयता कानून लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन करता है, लिहाजा इस कानून को पारित करने का कोई औचित्य नहीं है। विपक्ष का यह भी कहना था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सरकार को लोगों के पर्सनल डेटा तक पहुंच बनाने का अधिकार मिलता है जो कि ठीक नहीं है।
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