केशव प्रसाद मौर्यः आसान नहीं रहा अखबार और चाय बेचने से लेकर उपमुख्यमंत्री तक का सफर
खास बातें
- सिर्फ मोदी का ही नहीं केशव प्रसाद मौर्य का भी है चाय से खास नाता
- चाय की बेचने के साथ ही घर घर बांटते थे अखबार, यूपी उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या
- जानिये क्यों अहम माने जाते है बीजेपी के लिए केशव प्रसाद मौर्य
- आसान नहीं रहा अखबार और चाय बेचने से लेकर उपमुख्यमंत्री तक का सफर
- केशव प्रसाद मौर्य पर दर्ज है दस गंभीर आपराधिक मामले
नामांकन से पहले लिया मां शीतला देवी का आशीर्वाद
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (keshav prasad mourya)ने गुरुवार को सिराथू विधानसभा सीट से करीब 12.30 बजे अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले उन्होंने घर में पूजा अर्चना की और मां का आशीर्वाद लिया। इसके बाद वह शीतला मंदिर पहुंचे और मां शीतला देवी पूजा अराधना की। नामांकन के दौरान उनके साथ उनकी पत्नी सिराथू के निवर्तमान विधायक लाल बहादुर और भाजपा जिलाध्यक्ष अनीता मौजूद रहीं।
क्यों महत्वपूर्ण है सिराथू सीट के लिए केशव प्रसाद मौर्या
2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जिन 325 सीटों पर जीत दर्ज की थी उसमें एक एक सीट सिराथू है। पिछले विधान सभा चुनाव में बीजेपी के शीतला प्रसाद उर्फ़ पप्पू पटेल यहां से जीते थे। सिराथू विधान सभा को पिछड़ा जिला माना जाता है। यह विधानसभा कौशांबी इलाहाबाद में है। स्वामी प्रसाद मौर्या और दारा सिंह के बाद केशव प्रसाद मौर्या पिछड़ी जाति के वोटिंग बैंक के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे है। पिछड़ा जिला होने के साथ ही कौशांबी केशव प्रसाद मौर्य की जन्मस्थली भी है। इसलिए केशव प्रसाद मौर्य भारी वोट से यहां जीत दर्ज कर सकते है।
बेचते थे चाय और अखबार
कौशाम्बी में किसान परिवार में पैदा हुए केशव प्रसाद मौर्य का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा। उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान घर घर अखबार बांटे और चाय की दुकान भी चलाई। प्रधानमंत्री मोदी के जीवन पर प्रकाश डाले तो चाय की दुकान से उनका नाम भी जुड़ा है। ऐसे केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी से सहानुभूति मिलना तय थी।
बीजेपी की हिंदुत्व राजनीतिक समीकरण में भी फिट है केशव प्रसाद मौर्य
केशव प्रसाद मौर्य आरएसएस, वीएचपी और बजरंग दल में भी सक्रिय है। इसलिए वह बीजेपी हिंदुत्व राजनीति के लिए भी अहम हिस्सा है। हिंदुत्व से जुड़े राम जन्म भूमि आंदोलन, गोरक्षा आंदोलनों में हिस्सा लिया और जेल भी गए है। केशव प्रसाद मौर्य विश्व हिंदू परिषद से भी जुड़े है।
केशव प्रसाद मौर्य पर दर्ज थे दस गंभीर आपराधिक मामले
चुनाव आयोग को दिए हलफनामे से पता चलता है कि केशव प्रसाद मौर्य पर दस गंभीर आरोपों के मामले दर्ज है। इनमें 302 (हत्या), 153 (दंगा भड़काना) और 420 (धोखाधड़ी) जैसे आरोप शामिल हैं। केशव प्रसाद मौर्य का नाम 2011 में मोहम्मद गौस हत्याकाण्ड में भी सामने आया था जिसके लिए वह जेल भी गए थे। हालांकि इस केस में वे बरी हो चुके हैं।
राजनीतिक करियर
केशव प्रसाद मौर्य के अब तक राजनीतिक सफर की बात करें तो वह विश्व हिंदू परिषद में 18 साल तक गंगापार और यमुनापार में प्रचारक रहे। उन्होंने अपना राजनीतिक सफर बीजेपी से शुरु किया। 2002 में शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी रहें लेकिन वहां से उनको बसपा प्रत्याशी राजू पाल से हार गए। उनकी हार का सफर यहीं नहीं खत्म हुआ 2007 के चुनाव में भी इसी विधानसभा क्षेत्र से उन्हें फिर से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने हारी नहीं मानी और 2012 के चुनाव में सिराथू विधानसभा सीट से भारी मतो में जीत दर्ज की। 2014 लोकसभा चुनाव में वह पहली बार फूलपुर सीट लड़े और जीत दर्ज की।
जानियें कितनी संपत्ति के मालिक है केशव
हलफनामे के मुताबिक उनके और उनकी पत्नी के पास करोड़ों की संपत्ति है। केशव पेट्रोल पंप, एग्रो ट्रेडिंग कंपनी, कामधेनु लाजिस्टिक और जीवन ज्योति अस्पताल के मालिक हैं। उन्होंने सामाजिक कार्याे के लिए एक कामधेनु चेरिटेबल सोसायटी भी बना रखी है।