बीवी ने दिल तोडा, BCCI ने हाथ छोड़ा, शिखर धवन ने मज़बूरी में लिया क्रिकेट से संन्यास
भारत के अनुभवी सलामी बल्लेबाज शिखर धवन ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा की है। दो साल पहले देश के लिए अपना आखिरी मैच खेलने वाले इस खब्बू बल्लेबाज ने कहा कि वह तीनों प्रारूपों में देश का प्रतिनिधित्व करने के बाद एक संतुष्ट इंसान के तौर पर इस खेल को अलविदा कह रहे हैं।
दिल्ली में पैदा हुए शिखर धवन के इंटरनेशनल करियर की शुरुआत यादगार नहीं थी। वह दो गेंदों पर बिना खाता खोले आउट हो गए थे। शुरुआती संघर्षों के बाद 2013 में भारतीय टीम में वापसी की। इंग्लैंड में चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली भारतीय टीम के लिए वह प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट थे। इसके बाद वह भारत के लिए ऑल फॉर्मेट प्लेयर बन गए। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू पर मोहाली में खेली गई 185 रन की शानदार पारी में उन्होंने सिर्फ 85 गेंदों में अपना शतक पूरा किया था। दिल्ली का यह धाकड़ खिलाड़ी अपने स्ट्रोक की विविधता और ताकतवर शॉट के लिए जाना जाता था। 14 साल लंबे करियर में धवन ने वैसे तो सबकुछ हासिल कर लिया, लेकिन उनके तीन बड़े सपने हमेशा-हमेशा के लिए अधूरे ही रह गए।
बड़ा खिलाड़ी होते हुए भी फुल टाइम कैप्टेंसी नहीं मिली
शिखर धवन को महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में पहली बार भारतीय टीम में जगह मिली। इसके बाद टीम की कमान विराट कोहली ने संभाली। रोहित शर्मा की कप्तानी में भी शिखर धवन ने अपना जौहर दिखाया, लेकिन खुद कभी उन्हें फुल टाइम कैप्टेंसी नहीं मिली जबकि उनके पास आईपीएल में कप्तानी का लंबा अनुभव था। गब्बर को जून 2021 में श्रीलंका दौरे के लिए भारतीय वनडे और टी-20 टीम की कप्तानी सौंपी गई थी। युवा खिलाड़ियों से सजी इस टीम में कई सीनियर प्लेयर्स नहीं थे, लेकिन ये जिम्मेदारी अस्थायी थी।
U19 विश्व कप, वनडे विश्व कप और टी20 विश्व कप नहीं जीत सके
2004 अंडर-19 विश्व कप में सबसे ज्यादा रन बनाकर प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने शिखर धवन को भले ही मिस्टर आईसीसी कहा जाता हो, लेकिन वह कभी भी भारत के लिए कोई वर्ल्ड कप नहीं जीत पाए। भारत के लिए अंडर-19 विश्व कप, वनडे विश्व कप और टी-20 विश्व कप जैसे तीन-तीन प्रतिष्ठित टूर्नामेंट खेलने के बावजूद उन्हें कभी ट्रॉफी उठाने का सौगाभ्य नहीं मिला।
मैदान से रिटायरमेंट नहीं मिला, आखिरी मैच के सम्मान की कमी खलेगी
हर खिलाड़ी का सपना होता है कि वह अपने करियर की शुरुआत और अंत धमाकेदार अंदाज में करे। जब आए तब दुनिया उसका नाम याद कर ले और जब करियर का अंत करे तो पूरा स्टेडियम उसके नाम से गूंजने लगे। मगर युवराज सिंह, वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह, राहुल द्रविड़ सरीखे दिग्गजों की तरह शिखर धवन को भी रिटायरमेंट मैच खेलने का नसीब नहीं मिला। मैदान से सम्मानजनक विदाई नहीं मिली।
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