‘एक देश-एक चुनाव’ को कैबिनेट की मंजूरी, नवंबर, दिसंबर में पेश हो सकता है विधेयक

उच्च स्तरीय समिति ने पहले चरण के तौर पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की है। इसके 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने की बात कही गई है।

दिल्ली, महाराष्ट्र, बिहार और यूपी जैसे सारे राज्यों में अब एकसाथ ही चुनाव कराने को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठा लिया है. मोदी कैबिनेट ने बुधवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. सूत्रों के मुताबिक, संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का बिल पेश किया जा सकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की वकालत की थी, जिसके बाद अब यह घटनाक्रम सामने आया है. पीएम मोदी ने तर्क दिया था कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा पैदा होती है. ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विचार पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने से जुड़ा है, जिसका मतलब है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे.

लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश

उच्च स्तरीय समिति ने पहले चरण के तौर पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की है। इसके 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने की बात कही गई है। समिति ने सिफारिशों के क्रियान्वयन पर विचार करने के लिए एक ‘कार्यान्वयन समूह’ के गठन का भी प्रस्ताव रखा है। समिति के मुताबिक, एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों की बचत होगी। विकास और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा मिलेगा। लोकतांत्रिक ढांचे की नींव मजबूत होगी। इससे ‘इंडिया, जो भारत है’ की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी।

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एक समान मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की बात

समिति ने राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से चुनाव आयोग की ओर से एक समान मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की भी सिफारिश की थी। फिलहाल भारत का चुनाव आयोग लोकसभा और विधानसभा चुनावों को ही देखता है। नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव राज्य चुनाव आयोगों की ओर से कराए जाते हैं। बताया गया कि समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं से समर्थन की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, इनके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की जरूरत होगी, जिन्हें संसद से पारित कराना होगा।

विधि आयोग भी अपनी रिपोर्ट लेकर आएगा

एकल मतदाता सूची और एकल मतदाता पहचान पत्र के संबंध में कुछ प्रस्तावित परिवर्तनों को कम से कम आधे राज्यों से समर्थन की जरूरत होगी। इसके अलावा विधि आयोग भी जल्द ही एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट लेकर आने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके पूरजोर सथर्मक रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, विधि आयोग सरकार के सभी तीन स्तरों लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगर पालिकाओं-पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है। त्रिशंकु सदन जैसे मामलों में एकता सरकार (यूनिटी गवर्नमेंट) के प्रावधान की सिफारिश कर सकता है।

वन नेशन, वन इलेक्‍शन प्रैक्टिकल नहीं- खरगे

वन नेशन, वन इलेक्‍शन पर कैबिनेट की मंजूरी के बाद विपक्ष का रिएक्‍शन भी आया है. कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी कैबिनेट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह प्रैक्टिकल नहीं है और न ही यह चलने वाला है. खरगे ने कहा कि ये लोग चुनाव के लिए मुद्दा बनाते हैं, लेकिन देश के लोग मानने वाले नहीं हैं. TMC के सीनियर लीडर डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन लोकतांत्र विरोधी भाजपा का एक और चीप स्‍टंट है. उन्‍होंने सवाल उठाया कि महाराष्‍ट्र चुनाव हरियाणा और जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा चुनाव के साथ क्‍यों नहीं कराया गया.
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