क्या है रोमियो-जूलियट कानून ?

सुप्रीम कोर्ट ने भारत में सहमति से किशोरों के यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने वाले रोमियो-जूलियट कानून के आवेदन पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

देश में 18 साल की उम्र से ही किशोर किशोरिया ये समझने लगते है की हम बड़े हो गए कुछ भी कर सकते है लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है रोमियो जूलियट कानून इसमें इस बात को कहा गया है की देश के किशोर किशोरिया अगर यौन संबंध बनाते है। दोनों के बीच आपसी सहमति हो और लड़का-लड़की के बीच बहुत ज्यादा उम्र का अंतर ना हो तो ऐसी स्थिति में उसे यौन शोषण नहीं माना जाएगा। दरअसल हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भारत में सहमति से किशोरों के यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने वाले रोमियो-जूलियट कानून के आवेदन पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

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यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने वाले रोमियो-जूलियट कानून

सुप्रीम कोर्ट रोमियो-जूलियट कानून को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में तर्क दिया गया है भारत में 18 साल से कम उम्र के लाखों लड़के लड़कियां ऐसे हैं जो आपसी सहमति से यौन संबंध बनाते हैं। लेकिन ऐसे मामले में माता पिता की शिकायत पर लड़के को वैधानिक रूप से गिरफ्तार कर लिया जाता है। अगर लड़की प्रेग्नेंट हो गई तो इसे बलात्कार मान लिया जाता है। जबकि इस मामले में लड़कों को हर बार दोषी ठहराना गलत है।

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भारतीय दंड संहिता के धारा 375 के अनुसार

फिलहाल भारत में बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए पॉक्सो यानी द प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफंसेंस एक्ट, 2012 लागू है। इसके अनुसार देश में 18 साल से कम उम्र के बच्चे के बीच अगर आपसी सहमति से भी यौन संबंध बनाए जाते है तो वह सहमति महत्वहीन है। भारतीय दंड संहिता के धारा 375 के अनुसार भारत में 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म है, चाहे वह संबंध एक दूसरे की सहमति से ही क्यों न बनाया गया हो। अब हर किसी को इस याचिका पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार है।

 

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